________________
१३०८
गो० कर्मकाण्डे यितु गुणिसिदंते शेष षट्पंक्तिगळ राशिगळं धेरै बेर तन्निष्टविंद विशतिसागरोपमकोटोकोट्यादिस्थितिविकल्पंगळवं गुणिसि सप्ततिकोटीकोटिसागरोपमस्थितिइंदं भागिसुत्तं विरलु बंद लब्धगळ विशतिकोटीकोटिसागरोपमादिस्थितिप्रतिबद्धनानागुणहानिशलाकापंक्तिगळप्पुषु । बा राशिपंक्तिगळ्यासंदृष्टिरचने इदु :
प्र-सा-७० को २ फल छे ७
सा%२० को २ लब्ध छ। २
प्र-सा-७० को २ फल छ। ७
_ ८.८
सा-२० को २ लब्ध छ । २
८८
प्र-सा=90 को २ फल छ। ७
८1८।८
सा = २० को २ लब्ध छ । २
८1८1८
प्र-सा-७० को २ फल व छे ७1८1८ सा%२० को २ लब्ध व छ ।
८८२
प्र-सा-७० को २ फल व छे ७।८
सा=२० को २ लब्ध व छ ।
८.२
प्र-सा-५० को २ फल व छ। ७
सा-२० को २ लब्ध व छ।२।
कोटीकोटिसागरोपमः, द्वितीयपंक्तिगतं त्रिंशत्कोटोकोटिसागरोपमैः तृतीयपंक्तिगतं चत्वारिंशत्कोटीकोटिसागरोपमैः चतुर्थपंक्तिगतं पंचाशत्कोटीकोटिसागरोपमैः, पंचमपंक्तिगतं षष्टिकोटाकोटिसागरोपमैः, षष्टपंक्तिगतं सप्ततिकोटाकोटिसागरोपमंश्वेच्छाराशीनां गुणयित्वा सर्वत्र सप्ततिकोटीकोटिसागरोपमैः प्रमाणराशिमा भक्त्वा लब्धानि पात्मेष्टस्य विशतिकोटोकोटिसागरोपमादेः प्रतिबद्धा नानागुणहानिशलाकापंक्तयो भवन्ति ।।९३५॥
को जुदा-जुदा फलराशि किया था वैसे ही शेष छह पंक्तियों में फलराशि करो। प्रथम पंक्तिमें इच्छाराशि दस कोड़ाकोड़ी सागर कहा था और उस इच्छाराशिसे फलराशिको गुणा किया था। यहाँ छह पंक्तियों में-से अपने-अपने इष्टरूप प्रथम पंक्तिमें बीस कोडाकोड़ी सागर, दूसरी पंक्तिमें तीस कोडाकोड़ी सागर, तीसरी पंक्तिमें चालीस कोडाकोड़ी सागर, चौथी पंक्तिमें पचास कोडाकोड़ी सागर, पाँचवीं पंक्तिमें साठ कोडाकोड़ी सागर, छठी पंक्तिमें सत्तर
कोड़ाकोड़ी सागर प्रमाण इच्छाराशि रखकर गुणा करो। तथा जैसे प्रथम पंक्तिमें प्रमाण १५ राशि सत्तर कोड़ाकोड़ी सागरका भाग दिया था वैसे ही यहाँ भी सर्वत्र प्रमाण राशि सत्तर
कोड़ाकोड़ी सागरका भाग दो। ऐसा करनेसे जो-जो प्रमाण आवे वह-वह अपनी इष्ट पीस फोड़ाकोड़ी सागर आदि स्थिति सम्बन्धी नानागुणहानि शलाका होती है ।R३५||
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org |