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________________ कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका १३०१ उपरितस्त्रयस्त्रय संमिलिताः मेलण मेलण पल्यप्रथममूलार्द्धच्छेदंगठप्प पल्याद्धच्छेदराश्यद्धमादियागि मूरु मूरु राशिगळु कूडल्पडुतिरळु अष्टगुणोनक्रमदिदमिवदेंतें दोडे पल्यप्रथममूलच्छेदंगळुमवर केळगण द्वितीयमूलच्छेदंगळु मवर केळगण तृतीयमूलच्छेदंगळुमद्धिक्रमदिनिर्पवल्लि छे अंतधणं छे गुणगुणियं छे २ आदि छे विहीणं छे १ रूऊणुत्तर भजिय २२२ छ : एंदिदुपरितन त्रिराशिगळ युतियक्कुं। तदघस्तनपल्यचतुर्थमूलार्द्धच्छेदंगळु मवर केळगण ५ पंचममूलाद्धच्छेदंगळुमवर केळगण षष्ठमूलार्द्धच्छेदंगळुमछुद्ध'क्रमदिनिप्वल्लि छे ... ८।२ ८१ ८।२।२ ८।२।२।२ तस्त्रयस्त्रयो राशयो मिलिता अष्टाष्टगुणोनहीनक्रमाः स्युः। तद्यथा-पल्यस्य प्रथम द्वितीयतृतीयमूलाधंच्छेदाः छ अन्तधणं छे गणगणियं छे २ आदि छे विहीणं छे ७ रूऊत्तरभजियमिति मिलिताः छ ७ तया ८।१ २।२ २।२।२ पल्यके प्रथम वर्गमूलके अर्द्धच्छेद पल्यके अर्द्धच्छेदोंसे आधे होते हैं। उनसे आधे पल्य के दूसरे वर्गमूलके अर्द्धच्छेद होते हैं। उनसे आधे पल्यके तीसरे वर्गमूलके अर्द्धच्छेद १० होते हैं। इन तीनोंको करणसूत्रके अनुसार जोड़ें। अन्तिम धन पल्यके अर्द्धच्छेदोंसे आधे पल्यके प्रथममूलके अर्द्धच्छेद हैं। उनको दोसे गुणा करनेपर पल्यके अर्द्धच्छेद प्रमाण होते हैं। इनमें आदिको घटाइए। आदि है-पल्यके तीसरे मलके अर्द्धच्छेद जो पल्यके अर्द्धच्छेदोंके आठवें भाग हैं। घटानेपर सातगुणा पल्यके अर्द्धच्छेदोंका आठवाँ भाग आया। उसमें 1. 12112121212121 । 0 022 2028 2020 छेद २१ | छेद २।२ छेद २ । ३ छेद २।४ छेद २ । ५ | छेद २ । ६ छेद २।७ छेद २।८ ood व छ २५६ व छ १२८ वछे ६४ व छे ३२ । | व छे १६ वछे ८ व छे ४ Twiver 1OM 100000000001 w im to ar ००० "mar or ७ ॥ = 328 ६५ = 36 व व ATI Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001326
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages828
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Karma
File Size18 MB
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