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गो० कर्मकाण्डे ये खलु जीवाः आउनु केलवु जीवंगळ स्फुटमागि विवक्षितकसमयदोळु संस्थानवनवयो. वेषभाषाविर्गाळदमेतु ओरोव्वरोळ विसदृशरप्परते परिणामंगळवं मियः परस्परं विसदृश. रप्परल्तु विशुद्धिपरिणामंगळवं विवक्षितैकसमयबोळषःप्रवृत्तापूर्वकरणंगळोळ विसदृशविशुखि.
युक्तरेंतोळरंतयनिवृत्तिकरणरोळिल्ले बुवत्थं । न विद्यते निवृत्तिः परिणामभेदो एषु करणेषु ५ परिणामेषु तेऽनिवृत्तयः। अनिवृत्तयः करणाः परिणामा एषां तेऽनिवृत्तिकरणाः। एंक्तिनिवृत्तिकरणरेब पेसरन्वर्थमक्कुं। ई ययमने स्फुटीकरिसिवपरु :
होति अणियट्टिणो ते पडिसमयं जस्सि एक्कपरिणामा ।
विमलयरझाणहुदवहसिहाहिणिद्दड्ढ कम्मवणा ॥९१२॥
भवेयुरनिवृत्तयस्ते प्रतिसमयं यस्मिन्नेकपरिणामाः। विमलतरध्यानहुतवहशिखाभिन्निदंग्य१० कम्भवनाः॥
यस्मिन्ननिवृत्तिकरणे प्रतिसमयमेकपरिणामाः। विमलतरध्यानहुतवहशिखाभिन्निग्ध कम्भवनास्तेनिवृत्तयो भवेयुः ॥ सुगमं ।
अनिवृत्तकरणपरिणामाध्वानक्कंकसंवृष्टि नाल्कु ४ । अर्थसंवृष्टियंतर्मुहूर्त २११
ईयनिवृत्तिकरणरचनाभिप्रायं पेळल्पडुगुम ते दोर्ड:-अपूर्वकरणकालमंतमहत्तम काळदु १५ अनिवृत्तिकरणपरिणाममं पोद्दि तत्कालप्रथमसमय मोवस्गोंड चरमसमयपय्यंत प्रतिसमयमनंतगुणविशुद्धिवृद्धिपरिणामयुतरप्परादोडं विवक्षितसमयदोळे निबरु जोवंगलिहों उमनिबर्ग वर्णादि.
ये जीवा अनिवृत्तिकरणकालस्य विवक्षितकसमये संस्थानवर्णवयोवेषभाषादिभिमियो यथा निवर्तन्ते भिद्यन्ते तथा परिणामः खल्वधःप्रवृत्तापूर्वकरणवन्न निवर्तन्ते ॥९११॥ अम्मेवार्थ स्फुटीकरोति
यस्मिन्करणे प्रतिसमयमेकैकपरिणामास्ते विमलतरध्यानहतवह्निशिखाभिनिर्दग्धकर्मवना अनिवृत्तयो
जो जीव अनिवृत्तिकरण कालके विवक्षित एक समयमें परस्परमें शरीरके आकार, रूप, वय, वेष, भाषा आदिसे भिन्न-भिन्न होते हैं अर्थात् किसी जीवका आकार आदि किसी प्रकारका होता है किसी जीवका किसी प्रकारका होता है, उनमें समानता नहीं होती। उस प्रकार अधःकरण अपूर्वकरणकी तरह उनमें परिणामोंका भेद नहीं होता अर्थात् जिनको अनिवृत्तिकरणमें आये पहला समय है उन सब त्रिकालवर्ती अनन्त जीवोंके परिणाम समान ही होते हैं, अन्य-अन्य रूप नहीं होते, इसी तरह द्वितीयादि समयवर्ती जीवोंके परिणामोंमें भी समानता पायी जाती है ।।९११॥
इसी अर्थको स्पष्ट करते हैंजिस करणमें प्रतिसमय जीवोंके एक-एक ही परिणाम होता है और वह परिणाम
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