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________________ ११८२ गो० कर्मकाण्डे गु १२ । गु २० । क्षे १९ । लब्धभंगंगलोळु २५९ । अवेदभागेयोल- । मिओ पा १२५ । भ इल्लि गुण्यं ४ । गु २० । क्षे १९ । लब्धभंगंगळ ९९ । कोषरहितभागेयोळ गुण्य ३। गु २० । क्षे १९ । लब्धभंगंगळु ७९ । मानरहितभागेयोळ गुण्य २। गु २० । क्षे १९ । ळग्धभंगंगलु ५९ । मायारहितभागेयोळ गु१। गु २० । क्षे १९ । लब्धभंगंगळ ३९ । सूक्ष्मसांपरायंगे गुण्यभंग १। गु ५ २०।क्षे १९ । लब्धभंगंगळ ३९ । क्षीणकषायंगे गुण्य ११ ग २०। क्षे १९ । लब्धभंगंगळु ३९ । सयो. गकेवलिभट्टारकंगे माऔ पा| इल्लि प्रग १।क्षे २। द्वि २।२१। त्रिसंग १ । कूडि गुण्य १ । २३ भ क्षपकेष्वपूर्वकरणे-क्षा | मि | ओ | पा | अत्र प्रगु १क्षे ६ । द्विगु ६ क्षे ९ । त्रिगु ९ क्षे । २ । १२ । ६ | भ १० ४ । चगु ४ मिलित्वा गुण्यं १२ । गु २० क्षे १९ लब्धभंगाः २५९। अनिवृत्तिकरणे सवेदभागे गुण्यं १२ गु २० क्षे १९ भंगाः २५९ । बवेदमागे क्षा | मि । यो । पा | अत्र गुण्यं ४ गु २० क्षे १९ भंगाः ९९ । अक्रोषभावे गुण्यं ३ | २ | १२ | ५ | भ । १० - ~ १० क्षपकश्रेणीमें अपूर्वकरण गुणस्थानमें क्षायिकका सम्यक्त्व चारित्ररूप एक स्थान, मिश्रके बारह, ग्यारह, दस, नौ ये चार स्थान, औदयिकका छहका एक स्थान, और पारिणामिकका भव्यत्वरूप एक स्थान, इस प्रकार सात स्थान हैं। उनमें प्रत्येक भंगमें गुणकार एक क्षेप छह, दो संयोगीमें गुणकार छह क्षेप नौ, तीन संयोगीमें गुणकार नौ क्षेप चार, चार संयोगीमें गुणकार चार। सब मिलकर गुणकार बीस और क्षेप उन्नीस हुए । १५ पूर्वोक्त गुण्य बारहसे गुणा करनेपर सब भंग दो सौ उनसठ होते हैं । अनिवृत्ति करणमें वेद सहित भागमें अपूर्वकरणकी तरह चार भावोंके सात स्थान हैं। तथा गुणकार बीस, क्षेप उन्नीस हैं। पूर्वोक्त गुण्य बारह हैं। अतः दो सौ उनसठ भंग होते हैं । वेद रहित भागमें भी उसी प्रकार चार भावोंके सात स्थान हैं। इतना विशेष है कि यहाँ औदंयिकका पाँचका स्थान होता है। अपूर्वकरणकी तरह ही गुणकार बीस और क्षेप २० उन्स होते हैं। किन्तु गुण्य चार होनेसे भंग निन्यानबे होते हैं। क्रोध रहित भागमें भी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001326
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages828
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Karma
File Size18 MB
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