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________________ १५३९८९ ९७५०३० गो. कर्मकाण्डे प्पुवु। २३... पंचविंशतिस्थानद भुजाकारंगळ मो भत्तलक्षमुमप्पत्तटदु सासिरद मूवतप्पुवु२५. षड्विंशतिप्रकृतिस्थानद भुजाकारंगळ नाल्कुलक्षमुं नाल्वत्त नाल्कुसासिरदे नूरनाल्कप्पुबु २६ अष्टाविंशतिस्थानद भुजाकारंगळुमकलक्षमुमिप्पत्तनाल्कु सासिरद ओ भैनूर * ४४४७०४ तो भत्तेरडहुँ २८ नविंशतिस्थानद भुनाकारंगल नाल्कु कोटियुमिप्यतोभत्तु लक्षy १२४९९२ ५ पत्तुसासिरदेनु नूरिप्पत्तु अक्कुं २९ ई भुजाकारवंधंगळेल्लं मिथ्याष्टिगळाप्पुवेंदु पेळदपरु : ४२९१०७२० त्रयोविंशकस्यै कलक्षत्रिपंचाशत्सहस्रनवशतकान्ननवतयः २३ पंचविंशतिकस्य नवलक्ष चसप्ततिसह १५३९८९ स्रत्रिंशतः २५ षड्विंशतिकस्य चतुर्लक्ष चतुश्चत्वारिंशत्सहस्र सप्तशतचत्वारि २६ अष्टाविंशतिकस्य९७५०३० ४४४७०४ कलक्षचविशतिसहस्रनवशतद्वानवतयः २८ नवविंशतिकस्य चतुष्कायकान्तत्रिशल्लक्षदशसहस्रसप्तशत १२४९९२ विशतयः २९ ॥५६५॥ ४२९१०७२० । के मुजाकार होते हैं। उनतीसका बन्ध करके तीसका बन्ध करनेपर मुजाकार होता है। सो उनतीसके एक भेदको बन्ध करके तीसके सब भेदोंको बन्ध करे तो उनतीसके बानबे सौ अड़तालीस भेदोंका बन्ध करनेके साथ कितने भेद हों। इस प्रकार एक त्रैराशिक हुआ। उसमें प्रमाणराशि उनतीसका एक भेद, फलराशि तीसके छियालीस सौ चालीस भेद । इच्छाराशि उनतीसके बानबे सौ अड़तालीस भेद । सो फलराशि छियालीस सौ चालीसको इच्छाराशि बानबेसौ अड़तालीससे गुणा करनेपर चार कोटि उनतीस लाख दस हजार सात सौ बीस भेद होते हैं। इतने उनतीसके मुजकार हुए ।।५६५।। नामकर्मके स्थानोंके भुजाकार बन्ध लानेका त्रैराशिक यन्त्र ०२ २९/३० २९ ४६४० १११४६४० ७० ४६४०, ९ १४६४०९२४८ ।२५ १ ४६४० casinsar प्रमा. फल इच्छा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001326
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages828
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Karma
File Size18 MB
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