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________________ कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका पुंवेदमुं चतुःसंज्वलनकषायमुमेब पंचबंधकानिवृत्तिकरणनोळु द्वादश भंगंगलप्पुवु । उदयप्रकृतिगळोदु वेदमुमोदु कषायमुमंतेरडयप्पुउ बं५ चतुबंधे केवल चतुःप्रकृतिबंधदोळु द्वयोरुदये दिप्रकृत्युदयमागुत्तं विरलु द्वादश भंगंगळप्पुबु बं४ पुरुषवेदोददिदं श्रेण्यारोहणंगे भंगः॥ दंगे पुरुषवेदोदयद्विचरमसमयदोळे पुरुषवेदबंधव्युच्छित्तियक्कु बुदक्के इदे ज्ञापकमक्कुं । द्विप्रकृ. त्युदयचतुब्बंधकनोळु अष्टभंगंगळल्ल द्वादशभंगंगळगन्यथानुपत्ति यप्पुरिदं ।। कोहस्स य माणस्स य मायालोहाणियट्टिभागम्मि । चदुतिदुगेक्क भंगा सुहुमे एक्को हवे भंगो ॥४८६।। ___क्रोधस्य च मानस्य च मायालोभानिवृत्तिभागे। चतुस्त्रिद्वयेको भंगाः सूक्ष्मे एको भवेद क्रोधद , मानद माय लोभदुदयदनिवृत्तिकरणभागेयोलु क्रमदिदं चतुब्बंधकनोळं १० त्रिबंधकनोळं द्विबंधकनोळमेकबंधकनो ठमबंधनोळं नाल्कुं मूरुमेरडुमोंदुमों, भंगंगळप्पुवु । इंतनिवृत्तिकरणन सवेदावेदभागेगलोळु पंचबंधचतुब्बंधभेददिदं द्वादशद्वादशभंगंगळगं अवेदभागेय चतुस्त्रिद्वकभंगंगळगं सूक्ष्मसांपरायनेकभंगक्कं संदृष्टि बं ५ | बं ४ । बं ४ । बं ३ | बं २। बं १ सू.बं. ० उ २ | उ२ | उ १ | उ१ | उ १ | उ१। उ१ भं १२ भं १२) भं४ | भं ३ | भं २ | भ१ | भं १ सू बं४ । बं३ बं ४ मा बं बं २ ३ ब१ :عن या ब३ ला पंचबंधकानिवृत्तिकरण द्व एवोदयप्रकृती। तत्र भंगा द्वादश भवति । चतुबंधकेऽपि द्वयुदये भंगा द्वादश खल ११११ ११११ ॥४८५।। क्रोधमानमायालोभोदयानिवृत्तिकरणभागेषु चतुस्त्रिद्वयकबंधकेषु क्रमेण चतुस्त्रिद्वयकभंगा भवंति । १६५ अनिवृत्तिकरणमें जहाँ पाँच प्रकृतियोंका बन्ध होता है वहाँ दो उदय प्रकृतियाँ हैं। तथा चार कषाय और तीन वेदोंके बारह भंग हैं। इसी प्रकार जहाँ चार प्रकृतियोंका बन्ध है वहाँ भी दोका उदय होनेसे बारह भंग हैं ।।४८५।। क्रोध, मान, माया, लोभके उदयरूप अनिवृत्तिकरणके चार भागोंमें चार, तीन, दो और एक प्रकृतिका बन्ध पाया जाता है। उनमें कषाय बदलने की अपेक्षा क्रमसे चार, तीन, २० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001326
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages828
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Karma
File Size18 MB
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