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गो० कर्मकाण्डे
शरीरनिर्वृत्तिस्तच्छरीरनाम । तत्पंचविधं औदारिकशरीरनाम, वैक्रियिकशरीरनाम, आहारकशरीरनाम, तेजसशरीरनाम, कार्म्मणशरीर नाम चेति ॥ यदुदयादात्मनः औदारिकशरीरनिर्वृत्तिस्तवौवारिकशरीरनाम । यदुदयाद्वै क्रियिकशरीरनिर्वृत्तिस्तद्वै क्रियिकशरीरनाम । यवुदयादाहारकशरीरनिर्वृतिस्तदाहारकशरीरनाम । यस्योदयात्तैजसशरीरनिर्वृत्तिस्तत्तैजसशरीरनाम । यदुदयादात्मनः ५ कार्मणशरीरनिर्वृत्तिस्तत्कार्मणशरीरनाम ॥
२८
शरीरनामकम्र्मोदयवशादुपात्तानामाहारवर्गणायातपुद्गलस्कंधानामन्योन्यप्रदेश सश्लेषणं यतो भवति तद्बन्धननाम । यदुदयादौदारिकादिशरीराणां विवर विरहितानामन्योन्य प्रदेशानुप्रवेशेन एकत्वापादनं भवति तत्संघातनाम । यदुदयादौदा रिकादिशरीर कृति निर्वृत्तिर्भवति तत्संस्थाननाम | तत् षोढा विभज्यते । समचतुरस्रसंस्थाननाम न्यग्रोधपरिमंडल संस्थाननाम स्वातिसंस्थाननाम १० कुब्जसंस्थाननाम वामनसंस्थाननाम हुंड संस्थाननाम चेति ॥
यदुदयादात्मनः शरीरनिर्वृत्तिः तच्छरीरनाम । तत्पञ्चविधं औदारिकशरोरनाम - वैक्रियिकशरीरनामआहारकशरीरनाम - तेजसशरीरनाम - कार्मणशरीरनाम चेति । यदुदयादात्मनः औदारिकशरीर निवृत्तिः तदीदा रिकशरीरनाम । यदुदयाद्वै क्रियिकशरोरनिवृत्तिः तद्वैक्रियिकशरीरनाम । यदुदयादाहारकशरीरनिर्वृत्तिस्तदाहारकशरीरनाम | यस्योदयात्तं जसशरीर निवृत्तिः तत्तैजसशरीरनाम । यदुदयादात्मनः कार्मणशरीर१५ निर्वृत्तिः तत्कार्मणशरीरनाम ।
शरीरनामकर्मोदयवशात् उपात्तानामाहारवर्गणायातपुद्गलस्कन्धानां अन्योन्यप्रदेशसंश्लेषणं यतो भवति तद्बन्धनं नाम ।
यदुदयात् औदारिकादिशरीराणां विवरविरहितानामन्योन्यप्रदेशानुप्रवेशेन एकत्वापादनं भवति तत्संघातनाम |
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यदुदयात् औदारिकादिशरीराकृतिनिवृत्तिर्भवति तत्संस्थाननाम । तत् षोढा विभज्यते - समचतुरस्रसंस्थाननाम न्यग्रोधपरिमण्डलसंस्थाननाम स्वातिसंस्थाननाम कुब्जसंस्थाननाम वामनसंस्थाननाम हुण्डकसंस्थाननाम चेति ।
चतुरिन्द्रियजातिनाम है। जिसके उदयसे आत्मा पंचेन्द्रिय कहा जाता है वह पंचेन्द्रियजातिनाम है । जिसके उदयये आत्माके शरीरकी रचना होती है वह शरीरनाम है । उसके २५ पाँच भेद हैं- औदारिक शरीरनाम, वैक्रियिक शरीरनाम, आहारक शरीरनाम, तैजसशरीरनाम, कार्मणशरीरनाम । जिसके उदयसे आत्मा के औदारिक शरीर बनता है वह औदारिक शरीरनाम है। जिसके उदयसे वैक्रियिक शरीरकी रचना होती है वह वैक्रियिक शरीरनाम है । जिसके उदयसे आहारक शरीरकी रचना होती है वह आहारक शरीरनाम है। जिसके उदयसे तैजस शरीर की रचना होती है वह तेजस शरीरनाम है। जिसके उदयसे आत्माके ३० कार्मणशरीरकी रचना होती है वह कार्मणशरीरनाम है । शरीर नामकर्मके उदयके वश ग्रहण किये गये आहारवर्गणाके रूपमें आये पुद्गलस्कन्धोंका परस्परमें प्रदेशोंका सम्बन्ध जिससे होता है वह बन्धननाम है। जिसके उदयसे ओदारिक आदि शरीरोंका छिद्ररहित परस्परमें प्रदेशोंके प्रवेश से एकरूपता होती है वह संघातनाम है। जिसके उदयसे औदारिक आदि शरीरोंका आकार बनता है वह संस्थान नाम है । उसके छह भेद हैं- समचतुरस्र संस्थान ३५ नाम, न्यप्रोधपरिमण्डल संस्थान नाम, स्वातिसंस्थान नाम, कुब्जसंस्थान नाम, वामन
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