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________________ ४०२ गो० कर्मकाण्डे ५११। सुद्धे । प ११। वढिहिदे रूवसंजुदे ठाण । प ११। एंदितिनितु मेकप्रकृतिस्थितिविकल्पंगळप्पुवंतागुत्तं विरलु त्रैराशिकं माडल्पडुगुमदत दोडकप्रकृतिविकाल्पक्किनितु स्थितिविकल्पंगळागुत्तं विरलिनितु प्रकृतिविकल्पंगळ्गेनितु स्थितिविकल्पंगळक्कुम दितु माडल्पडुत्तं विरलु प्र१। फप११ इ = aa२ बंद लब्धं सर्वप्रकृति सस्थितिविकल्पप्रमाणमक्कु ० = a = २ १११ मदु कारणमागि सर्वप्रकृतिविकल्पंगळं नोडलुमवर स्थितिविकल्पंगळु संख्यातपल्यगुणितंगळप्पुरिंदमसंख्यातगुणितंगळेदु पेळल्पटुदी स्थितिविकल्पंगळं नोडलुमिवर स्थितिबंधनिबंधनकषायपरिणामस्थानविकल्पंगळुमसंख्यातलोकगुणितंगळप्पुवद ते दोडे एक प्रकृतिस्थितिविकल्पंगळगे। प११। स्थितिबंधकारणकषायपरिणामस्थानंगळुमसंख्यातलोक. प्रमितंगळप्पुववु द्रव्यमक्कु = a मा येकप्रकृतिस्थितिविकल्पंगळु स्थितिये बुदक्कु । ५१ । १० मिवर नानागुणहानिशलाकगळ पल्यच्छेदासंख्यातेकभागमात्रंगळक्कु छे मदक्कन्योन्याभ्यस्त विकल्पस्य यद्येतावंतः- १११ स्थितिविकल्पाः तदैतावतां 3 a = a २ प्रकृतिविकल्पानां कति स्थितिविकल्पाः स्युः ? इति त्रराशिकेन संख्यातपल्यैर्गुणितत्वप्रसिद्धः- = a = a | २५११ एम्यः स्थितिविकल्पेभ्यः स्थितिबंधाध्यवसायस्थानानि असंख्यातगुणितानि तद्यथा-एकप्रकृतिस्थितिबंधकारणकषाय १५ परिणामा असंख्यातलोकाः द्रव्यं = a एकप्रकृतिस्थितिविकल्पाः स्थितिः प ११ नानागुणहानिशलाकाः परिणामोंसे स्थितिबन्ध होता है उनके स्थानोंको स्थितिबन्धाध्यवसाय स्थान कहते हैं। इनका कथन अंकसंदृष्टिसे करते हैं एक प्रकृति के स्थितिबन्धके कारण कषाय परिणाम इकतीस सौ ३१००। यह तो द्रव्य हुआ। उस एक प्रकृति की स्थितिके भेद चालीस ४०। यह स्थिति स्थान हुए। नाना गुणहानि पाँच ५। नानागुणहानि प्रमाण दोके अंक रखकर परस्परमें गुणा करनेसे अन्योन्या भ्यस्त राशि हुई बत्तीस ३२ । एक गुणहानिमें स्थितिका जो प्रमाण है वही गुणहानि आयाम २० है। सो नाना गणहानि शलाकाका भाग सर्व स्थितिमें देनेपर जो प्रमाण हो उतना ही गुण हानि आयामका प्रमाण जानना । सो नाना गुणहानि पाँच ५ का भाग स्थिति चालीस ४०में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001325
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages698
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, Karma, P000, & P040
File Size16 MB
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