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________________ कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका ३७९ प्रयमस्थितिद्रव्यंगळा क्रमदिदं पोगियधस्तन चरमगुणहानियोळु चरमस्थितिद्रव्यदोलु अधस्तनरूपोन नानागुणहानिमात्रद्विकंगळु हारमागिप्पुववनन्योन्याभ्यासं माडिदोडे लब्धमधस्तनान्योन्या --- ग भ्वस्तराश्यर्द्धमागि हारमक्कुं। गुणकारमुं रूपाधिकगुणहानि यक्कु ४ गु ३ गुप , मी aaa? राशियु मोयधस्तननानागुणहानिगल शलाकाप्रमितोपरितनगुणहानिगळ चरमेगुणहानिचरमस्थितिद्रव्यदोलु समानमक्कुमिन्तुक्ताधस्तनगुणहानिगळगमवर ऋणंगळगमुपरितनगुणहानिगळगं यथाक्रम- ५ दिदं विन्यासरचनाविशेषमिदु :अधस्तनगुणहानि मुखभूमीत्यादि ऋणं उपरितनगुणहानि प्रथम गुण प्रथमगुणहानि । चरमगुणहानि 3 - गु३ ग. समस्त ऋण ४ गु ३ गु२।२ = --- ग १ | ४ गु ३ गु २ ग २१ aari ॥ FE7 ३ Fou ग २ ग २प aa उपरितन ॥ »3 अधस्तन चरमगुणहानि मुखभूमीत्यादि चरमगुणहानि = --- गु समस्त ऋण ॥ ४ गु ३ गु२प १- ग३ -गु१ । aaa२ ४ गु ३ ३ गप ४ ग ३ गु२५ । aaa२५ aaa - ग ४ गु ३ गु२५ aaa ديدي اس دي في لا م له प्रथम ग. 6464 ०० ॥ एवं विशेषहीनक्रमेण गत्वा चरमस्थितिद्रव्ये रूपोनगुणहानिमात्रस्वविशेषा हीयते - ४गु३-गु २२२२ पंचमाद्यधस्तनगुणहानिषु तत्तद्गुणहानिप्रथमस्थितिद्रव्याणि अर्धार्धक्रमेण गत्वा अधस्तनचरमगुणहानी चरमस्थितिद्रव्ये रूपोनाधस्तननानागुणहानिमात्रद्विकानि हाराः स्युः । तेषामभ्यासे अधस्तनान्योन्याम्यस्ताधू स्यात् ।। गुणकारो रूपाधिकगुणहानिः स्यात् ग अयं राशिः अधस्तननानागणहानिशलाकाप्रमितो४ गु ३-गु २ प aaa? का प्रमाण कहा है उतना घटानेपर नीचे की द्वितीय गुणहानिमें प्रथम निषेकका प्रमाण जानना । उसमें-से उतना ही घटानेपर उसके दूसरे निषेकका प्रमाण जानना। इस तरह अन्तके निषेक पर्यन्त जानना । इसी प्रकार तृतीय आदि गणहानिमें भी जानना। नीचेकी गुणहानियोंको रचनामें चयका प्रमाण जोड़ देनेपर नीचेकी गुणहानिका प्रमाण ऊपरकी १५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001325
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages698
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, Karma, P000, & P040
File Size16 MB
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