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________________ वतत्त्वप्रदीपिका शेषैक भागमष्टसमयनिरंतरयोगप्रवृत्तिमध्यमयोग -छे १ प -१छे प १२१ ०२१२१२ ୩୭୭ ୭ ୩୭ । a2 पपपपपप aaaaaa स्थानविकल्पंगळप्पु -- छे १५ प प प प प वकारणमागि अष्टसमयस्य स्थानविकल्पाः स्तोकाः १२ a aa aa a a एंदितु पेळल्पटुदु । उभयदिशास्वपि असंख्यातगुणिताः अधस्तनोपरितनोभयदिशेगळोळमसंख्यात. गुणित क्रमंगळप्पुविन्तु अधस्तनोपरितनोभयदिशगळोळं चतुःसमयनिरंतरयोगप्रवृत्तिस्थानविकल्पं -२ छ २ पपपपपa aaaaa प२ शेपैकभागपल्यासंख्यातबहभागाधर्धिमधस्तनो- ५ aaa प प प प प a a aa a a . परितनसप्तसमयनिरंतरप्रवत्तिस्थानविकल्पा:- دام -२ छे प२ -२ छ aaaपपपपपपaaaa पपपपपपa aaaaaa aaaaaa शेषकभागोष्टसमयनिरंतरप्रवृत्तिमध्यस्थानविकल्पाः -२ छ पपपपपप १ a aa a aa a a a -अत एव अष्टसमयस्य स्तोका इत्युक्तं । उभयदिशासु च असंख्यातगुणिताः । तत्र चतुःसमयनिरंतरप्रवृत्ति और आधे ऊपर लिखें। जो योगस्थान निरन्तर तीन समय तक होते हैं वे सब चार समयवालोंके ऊपर ही लिखना। जो योगस्थान निरन्तर दो समय तक होते हैं वे सब तीन १० समयवालोंके ऊपर लिखें। अब इन स्थानोंका प्रमाण कहते हैं दो इन्द्रिय पर्याप्तके जघन्य परिणाम योगसे लेकर संज्ञी पर्याप्तके उत्कृष्ट परिणाम योग पर्यन्त योगस्थान-जगतश्रेणिसे असंख्यातवें भागको एक घाटि पल्यके अर्धच्छेदोंके असंख्यातवें भागसे गुणा करें और सूच्यंगुलके असंख्यातवें भागसे भाग दें। जो प्रमाण हो १५ उसमें एक जोड़ें-इतने हैं। उनके इस प्रमाणमें पल्य के असंख्यातवें भागका भाग दें। एक भाग बिना बहुभाग तो निरन्तर दो समय तक होने वाले योगस्थानोंका प्रमाण है। उस एक भागमें पल्यके असंख्यातवें भागका भाग दें। एक भाग बिना बहुभाग तीन समय निरन्तर होनेवाले योगस्थानोंका प्रमाण है। उस एक भागमें भी पल्यके असंख्यातवें भाग भाग दें। एक भाग बिना बहुभागका आधा तो नीचे के चार समय निरन्तर होनेवाले २० For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001325
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages698
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, Karma, P000, & P040
File Size16 MB
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