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________________ कर्णाटवृत्ति जीवतत्वप्रदीपिका इल्लि मोहनीयसर्व्वद्रव्यमिदु स इदं सर्व्वघातिदेशघातिप्रतिबद्धद्रव्यनिमित्तमागि बीत ८ रागसव्र्व्वज्ञदृष्टानन्तप्रतिभागवदं भागिसि बंद लब्धमेकभागमिदु । स ८। ख T द्रव्यमक्कुं । शेषबहुभागद्रव्यं वेशघातिप्रतिबद्धद्रव्यमक्कु स ख मिल्लि गुणकारभूतानन्तदोळेक ८। ख J रूपहीनतेय नवगणिसि भाज्य भागहार भूतानन्तंगळन पर्वात्तसि कळेदु हिदुदनिदं स समयप्रब ८ 1 १ सर्व्वघातिप्रतिबद्ध 1 ८।९ द्वाष्टमभागप्रमितमनावल्यसंख्यातैकभागमात्र प्रतिभागदिदं भागिति बहुभागमनिदं स ८ संज्वलनकषायं गळ्गमकषायंगळगं पसल्वेडि द्विरूपद भागिसिदर्द्धमनोंदु भागद्रव्यमनकषायंग. गित स ०८ शेषबहुभागाद्वं द्रव्यमुमेकभागमुं सहितमागि संज्वलनदेशघातिप्रतिबद्धद्रव्यमक्कुं 1 ८।९।२ शेषबहुभागो देशघातिप्रतिबद्धं भवति स 1 अत्र मोहनीय सर्वद्रव्यमिदं स अनन्तेन भक्त्वा एकभागः स १ सर्वघातिप्रतिबद्धं भवति । ८ ८ ख २३७ 0 योरपवर्तने स समय प्रबद्धाष्टमभागः । तमावल्यसंख्यातेन भक्त्वा बहुभागः स ०८ ८ ८९ ख । अत्र गुणकारे एकोनतामवगणय्य भाज्यभागहारभूतानन्त ८ ख Jain Education International द्वाभ्यां स ८ अकषायाणां देयः । शेषबहुभागार्द्धमेकभागं संज्वलनदेशघातिप्रतिबद्धं भवति स ८ उक्त त्रि ८।९।२ ८९ । २ For Private & Personal Use Only भक्त्वा पूर्व में जो मोहनीय कमका सर्वद्रव्य कहा था, उसमें अनन्तसे भाग दें । उसमें से एक भाग प्रमाण सर्वघाती द्रव्य है और शेष बहुभाग प्रमाण देशघाती द्रव्य है । उस देशघाती द्रव्य में आवलीके असंख्यातवें भागसे भाग दें । जो बहुभाग आवे उसका आधा तो नोकषायको दें । तथा बहुभागका आधा और एक भाग संज्वलन सम्बन्धी देशघाती द्रव्य होता है । इस प्रकार ये तीन द्रव्य हुए। उसमें से प्रथम सर्वघाती द्रव्यका विभाग करते हैं सर्वघाती द्रव्यमें आवलीके असंख्यातवें भाग प्रमाण प्रतिभागसे भाग दें। एक भागको अलग रख शेष बहुभागके सतरह भाग करें। और एक-एक समान भाग एक-एक १० १५ www.jainelibrary.org
SR No.001325
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages698
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, Karma, P000, & P040
File Size16 MB
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