SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 284
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३४ गो० कर्मकाण्डे स्त्यानगृद्धि निद्रानिद्रा प्रचलाप्रचला निद्रा प्रचला चक्षुर्द्दर्शनावधिदर्शन केवलदर्शनावरणनव कंगळोळु 1 सममागि माडल्वेड नवमभागम स।८ नोभतेयोळिरिसि शेषैकभागमं ज्ञानावरणपंचक्के ८ । ख १९१९ पेळवंत प्रतिभागभक्त एकैकभागंगळ बहुभागंगळं होनक्रमविदं कोट्टु चरमवोळ द्विचरमशेशैकभागवोलु प्रतिभागभक्तबहुभागमं अवधिदर्शनावरणक्के कोट्टु शेषैकभागमं केवलदर्शनावरणक्के कुडुवुदु । ५ तद्देशघाति प्रतिबद्धानन्तबहुभागद्रव्यमं स व ख प्रतिभागभक्तबहुभागमं स ख । ८ समनागि 1 1.0 ८। ख ८। ख ।९ ८ । ख ।९।३ चक्षुर्द्दशंनाचक्षुर्द्दर्शनावधिदर्शनत्रयक्के सरिमाडि त्रिभागमं स ख ८ प्रत्येक मित्तु शेषैकभागबोळ प्रतिभागभक्तबहुभागंगळं चक्षुरचक्षुर्द्दर्शनंगळिगत्तु शेषैकभागमनवधिदर्शनावरणक्क कुडुवुवु । अन्तरायपंच्चकसुं देशघातियप्पुर्दारवं तत्सर्व्वद्रव्यमं स प्रतिभाग भक्तबहुभागमं सममं माडि पंचमभागमं प्रत्येकं कुडुवुदु । शेषेक भागदोळ प्रतिभाग भक्त बहु भागंगळनधिकक्रमविवं कोट्टु 1 ८ 1 १० निमित्तं अनन्तेन भक्त्वा एकभागस्य स प्रतिभागभक्तबहुभागो नवभिर्भक्त्वा स्त्यानगृद्धिनिद्रानिद्रा ८ ख 1 प्रचलाप्रचला निद्राप्रचलाचक्षुरचक्षुरवधि केवलदर्शनावरणानां प्रत्येकं देयः स a ८ शेर्ष कभागः ज्ञानावरण८ ख ९।९ पकवत्प्रतिभागभक्तबहुभागबहुभागान् हीनक्रमेण दत्वा चरमे शेषकभागं दद्यात् । तद्देशघातिप्रतिबद्धानन्त |० .-9 बहुभागस्य स a स्व प्रतिभागभक्त बहुभागः स ० ख ८ त्रिभिर्भक्त्वा स ख ८ चक्षुर ८ ख ८ ख ९ ८ ख ९ । ३ चक्षुरवधिदर्शनावरणानां प्रत्येकं देयः । शेषकभागे प्रतिभागभक्तबहुभागं बहुभागं चक्षुरचक्षुर्दर्शनावरणयोः 0 १५ रख शेष बहुभागके नौ समान करके नौ प्रकृतियों में दें। शेष एक भागमें प्रतिभागसे भाग देकर बहुभाग स्त्यानगृद्धिको देवें । शेष एक भाग में प्रतिभागका भाग देकर बहुभाग निद्रानिद्राको देवें । इसी तरह एक भाग में प्रतिभागका भाग दे-देकर बहुभाग क्रमसे प्रचलाप्रचला, निद्रा, प्रचला, चक्षुदर्शनावरण, अचक्षुदर्शनावरण, और अवधिदर्शनावरणको क्रमसे हीन-हीन देना । शेष रहा एक भाग केवलदर्शनावरणको देना । पहले कहे समान २० भागमें पीछे कहा अपना-अपना एक भाग मिलानेपर स्त्यानगृद्धि आदिका सर्वघाती द्रव्यका प्रमाण होता है। तथा दर्शनावरण द्रव्यके अनन्त भागों में से एक भाग बिना बहुभाग प्रमाण देशघाती द्रव्य है । उसमें प्रतिभागका भाग दें। एक भागको अलग रख बहुभागके तीन समान भाग करें। और चक्षु, अचक्षु तथा अवधिदर्शनावरणको एक-एक समान भाग दें। शेष एक भागमें प्रतिभागका भाग देकर बहुभाग चक्षुदर्शनावरणका देवें । २५ क्षेत्र एक भागमें प्रतिभागका भाग देकर बहुभाग अचक्षु दर्शनावरणको दें। शेष एक भाग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001325
Book TitleGommatasara Karma kanad Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Siddhant Chakravarti, A N Upadhye, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages698
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Principle, Karma, P000, & P040
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy