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कर्णाटवृत्ति जीवतत्त्वप्रदीपिका
१७७ यापर्याप्तोत्कृष्टस्थितिबंधविकल्पमुं। सूक्ष्मैकेंद्रियापर्याप्तोत्कृष्टस्थितिबंधविकल्पमुं सूक्ष्मैकेंद्रिया. पर्याप्तजघन्यस्थितिबंधविकल्पमुं। बादरैकेंद्रियापाप्तजघन्यस्थितिबंधविकल्पमुं । सूक्ष्मैकेंद्रिय. पर्याप्तजघन्यस्थितिबंधविकल्पमुं बादरैकेंद्रियपर्याप्तजघन्यस्थितिबंधविकल्पमुमेंब स्थितिबंधविकल्पंगळगे प्रत्येकं स्थित्यायामप्रमाणमुमनवराबाधाविशेषमुमं तरल्पडुगुमदे ते दोडे जेट्ठाबाहोवट्टिय जेट्टमित्यादि । उत्कृष्टस्थितियनुत्कृष्टाबायिदं भागिसिदोडाबाधाकांडकमक्कुमदं तंतम्माबाधा- ५ विकल्पंगळदं गुणिसि लब्धदोळेकरूपं कळेदुत्कृष्टस्थितिबंधवोळ कळदोडे तंतम्म स्थितिबंधस्थानायामप्रमाणमक्कुमल्लि बादरैकेंद्रियपर्याप्तोत्कृष्टस्थित्यायाममेकसागरोपमप्रमाणमं तन्नुत्कृष्टाबाधेयिदं २ भागिसिदोडाबाधाकांडकमक्कु प ११ मिदनुत्कृष्टस्थितिबंधविकल्पं मोवल्गोंडु सूक्ष्म
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पर्याप्तोत्कृष्टस्थितिबंधपयंतमिदं स्थितिविकल्पंगळाबाधाविकल्पंगळिनिरिदं २ १९६ गुणि
०३४३
सिदुदनिदं ५ ११ । २।१९६ आवळिगावळियं भाज्यभागहारंगळं कळेद शेषमपत्तित- १०
२२।३ ३ ४ ३ पुनस्तदेकभागस्य संख्यातभक्तबहुभागः संश्यपर्याप्तकोत्कृष्टानन्तरस्थितिबन्धमादिं कृत्वा संध्यपर्याप्तजघन्य.
स्थितिबन्धपर्यन्तलब्धविकल्पप्रमाणं भवति प ११ ४ एतेषु चरमस्य संश्यपर्याप्तजघन्यस्थितिबन्धस्यायामः एतावद्भिरेव समययूनसंज्यपर्याप्तकोत्कृष्टस्थित्यायामो भवति सा ७० को २ शेषतदेकभागः संश्यपर्याप्तक
प१४।
जघन्यानन्तरस्थितिबन्धमादि कृत्वा संज्ञिपर्याप्तकजघन्यस्थितिबन्धपर्यन्तलब्धविकल्पप्रमाणं भवति १११
स्थितिबन्ध सत्तर कोड़ाकोड़ी सागरमें-से घटानेपर जो प्रमाण रहे उतना संज्ञी अपर्याप्तकके १५ उत्कृष्ट स्थितिबन्धका प्रमाण है। तथा जो एक भाग रहा था उसमें संख्यातका भाग दीजिए। उसमें भी एक भाग बिना शेष बहुभाग मात्र संज्ञी अपर्याप्तकके उत्कृष्ट स्थितिबन्धसे एक समय कम स्थितिबन्धसे लगाकर संज्ञी अपर्याप्तकके जघन्य स्थितिबन्ध पर्यन्त स्थितिके भेदोंका प्रमाण होता है । सो इतने समय संज्ञी अपर्याप्तकके उत्कृष्ट स्थितिबन्धमेंसे घटानेपर संज्ञी अपर्याप्तकके जघन्य स्थितिनन्धका प्रमाण होता है। तथा जो एक भाग २०
१. व संश्यपर्याप्तकोत्कृष्टस्थित्यायाममात्री।
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