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गो० कर्मकाण्डे
मिथ्यात्वप्रकृतिगे कटुव जघन्यस्थितिबंधप्रमाणमक्कु सा १००
इदनुत्कृष्टस्थितियोळकळेदे
करूपं कूडिदोडे चतुरिद्रियजीवंगे मिथ्यात्वप्रकृतिसबस्थितिबंधविकल्पंगळ प्रमाणमक्कु प असंज्ञिजीवंगे मिथ्यात्वप्रकृतिस्थित्युत्कृष्टाबाधेयिदु २ ई आवलिसंख्येयभागाधिकसहस्रां
२११००० तर्मुहूत्र्तळिदं तन्नुत्कृष्टमिथ्यात्वस्थितियं भागिसिदोडेकभागं स्थित्याबाधाकांडकप्रमाणमक्कंसा १००० अपत्तितमिदु सा ई स्थितिकांडकप्रमाणमं स्थित्याबाधाविकल्पंगळिदं गुणिसिदो२१।१००० डिदु सा १ अपत्तितमिदु प इदरोळकरूपं कळंदुत्कृष्टस्थितियोळकळेदोडे असंशिजीवं
२३ । १ मिथ्यात्वप्रकृतिगे कटुव जघन्यस्थितिबंधप्रमाणमक्कु सा १००० ई जघन्यमनन्तदोत्कृष्ट
जघन्यस्थितिर्भवति सा १०० इमामुत्कृष्टस्थितावपनीय रूपे निक्षिप्ते मिथ्यात्वसर्वस्थितिविकल्पा भवन्ति
प । असंज्ञिनो मिथ्यात्वोत्कृष्टाबाधया २
आवलिसंख्येयभागाधिकसहस्रान्तर्मुहूर्तेर्भक्ता उत्कृष्ट
२११०००
१० स्थितिः आबाधाकाण्डकं स्यात्-सा १००० तेन अपवतितेन सा आबाधाविकल्पगुणितेन
सा २
२११०००
२
।
१
आबाधा है । इससे मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट स्थिति सौ सागरमें भाग देनेपर जो लब्ध आवे उतना आबाधाकाण्डकका प्रमाण है । उससे चतुरिन्द्रियके आबाधाके भेदोंको गुणा करनेपर जो प्रमाण हो उसमें एक घटाकर जो शेष रहे उसे उत्कृष्ट स्थिति सौ सागरमें-से घटानेपर. चतुरिन्द्रियकी जघन्य स्थितिका प्रमाण होता है। इस जघन्य स्थितिको उत्कृष्ट स्थितिमें-से घटानेपर जो शेष रहे उसमें एक जोड़नेपर चतुरिन्द्रियकी मिथ्यात्वकी सब स्थितिके भेदोंका प्रमाण होता है । असंज्ञी पश्चेन्द्रिय के मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट आबाधा आवलीका संख्यातवाँ भाग अधिक एक हजार अन्तर्मुहूर्त प्रमाण है। इससे मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट स्थिति एक हजार सागरमें भाग देनेपर आबाधाकाण्डकका प्रमाण होता है। इससे असंज्ञीके आबाधाके भेदोंको गुणा करनेपर जो प्रमाण आवे उसमें एक घटानेपर जो प्रमाण रहे उसे मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट स्थिति हजार
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