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________________ न्यायवि० (पं० कैलाशचन्द्रजी, काशी) न्यायवि० टी० लि० (पं० कैलाशचन्द्रजी, काशी) न्यायo वृ (चौखम्बा बनारस) न्यायसा० (एशियाटिक सोसायटी, कलकत्ता) न्यायसारता० (एशियाटिक सोसायटी, कलकत्ता) न्या० न्याया० (जैन कोन्फरंस, बंबई) न्यायाव० (जैन कोन्फरंस, बंबई) न्याया० टी० (जैन फोन्फरंस बंबई) परी० ( ० (फूलचन्द्र शास्त्री, काशी) पात० महा० पुरातत्त्व (अहमदाबाद) पुरुषार्थ० (परमश्रुतप्रभावक, बंबई) प्रकरणप० (चौखम्बा, काशी) प्रमाणन ० ( यशोविजय ग्रन्थमाला, काशी) (२६) प्रमाणप० (जैनसिद्धान्तप्रकाशिनी संस्था, कलकत्ता) प्रमाणवा० (श्रीमान् राहुल सांकृत्यायनना प्रूशीट) प्रमाणसं० (श्रीमुनि पुण्यविजयजी) प्रमाणस० (मैसूर युनिवर्सिटी) प्रमाणस० टी० (मैसूर युनिवर्सिटी) प्र० मी० (प्रस्तुत संस्करण) प्रमेयक० (निर्णयसागर, बंबई) प्रमेयर० (फूलचन्द्र शास्त्री, काशी) प्रश० ( विजियानगरम्, काशी) बृ० स्वयं०(प्रथमगुच्छकान्तर्गत) बृहती (मद्रास) बृहतीप० (मद्रास) बृहदा० (निर्णयसागर, बंबई) बृहदा० वा० ( आनन्दा श्रम) बोधिचर्या० (एशियाटिक सोसायटी, कलकत्ता) बोधिचर्या० प० (एशियाटिक सोसायटी, कलकत्ता) Jain Education International न्यायविनिश्चय लिखित न्यायविनिश्चयटीका लिखित न्यायसूत्र विश्वनाथवृत्ति न्यायसार न्यायसारतात्पर्यदीपिका न्यायसूत्र न्यायावतार न्यायावतार न्यायावतारसिद्धर्षिटीकाटिप्पणी परीक्षामुख पातञ्जल महाभाष्य त्रैमासिक पुरुषार्थसिद्ध्युपाय प्रकरणपञ्चिका प्रमाणनयतत्त्वालोक प्रमाणपरीक्षा प्रमाणवार्तिक प्रमाणसंग्रह, लिखित प्रमाणसमुच्चय प्रमाणसमुच्चयटीका प्रमाणमीमांसा प्रमेयकमलमार्तण्ड प्रमेयरत्नमाला प्रशस्तपादभाष्य बृहत्स्वयंभूस्तोत्र बृहतीपञ्चिका बृहदारण्यकोपनिषद् बृहदारण्यकवार्तिक बोधिचर्यावतार बोधिचर्यावतारंपञ्चिका For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001320
Book TitlePramanmimansa Jain History Series 10
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorNagin J Shah, Ramniklal M Shah
Publisher108 jain Tirth Darshan Trust
Publication Year2006
Total Pages610
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Nyay
File Size11 MB
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