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________________ शुभाशिष जैन साहित्यमा सागमोस ग्रंथ मोडिन को यहा वहाँ विजयला कंवा भगवा सांलजपा प्रवेछ. याक्या सगलग 3८ वर्ष पहला टेसाई साक्षर विधानोयेते भोजित डॉन नौध रूप था मायामां गूंथा साझ समझ छ कुन साहित्यका जुल्छ इतिहासा नाम था १ थाउ मां हिंही लाया मां प्रकाशित यहत. गुरुराती पायी पास पाग या जधा भागद्वारी पहाँये तथा शुला राया थी श्री १०८ जैन तीर्थ दर्शन लवन ट्रस्टै हिंही अनि लागोनुं शुभराती श्री श्री नगीन लाध शतह तथा प्रा०रमाडिग कुलाई शाह पनि दरांची "जैन साहित्यनो जुल्छ इतिहास" mag थार प्रकाशित ईश्पा नर्णय य याम तमना यया प्रयासन अंतरथा सापारीय छायाँ सब है यथा शुभाशिष खायला भाग पाय छात्र के तरा या प्रयास ने शुक्राती साक्षरो, विज्ञां सुखी, पायो आजकाथा पधायशः कम साहित्यना खनड विष या की बात द्वारी मजपी अक्षरनी उपासना द्वारा अवश्य मनभर भेजी तधी शुल Jain Education International ( Mizzr सी-खशॉकपी चि-स 2050 महा-शु-१३ जुईपार गोपासाया मुंबंध For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001317
Book TitleKannad Tamil ane Marati Jain Sahitya Jain History Series 7
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK Bhujbali Shastri, T P Minakshi, Sundaram Pille, Vidyadhar Johrapurkar
Publisher108 jain Tirth Darshan Trust
Publication Year2007
Total Pages309
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, History, & Literature
File Size17 MB
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