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________________ शुभाशिष चैन साहित्याना भाग मोस ग्रंथ मोडिन को यहा नहीं विजरायसा क्वा भागया सांप या भय छ, सावधा सगलग ३८ वर्ष पहता साई साक्षर विधानाचे ते भोलि हान नौध इस खंड माज़ाम गूंथा सोझ समझ कुन साहित्या बृहद्ध छतिहास" नाम थी १ था७ मां हिंही लाया माँ प्रकाशित यहत. r शुभराती पायको पास पाग या जधा भागद्वारी पाँच तथा शुल राय थी श्री १०८ जैन तीर्थ दर्शन लवन ट्रस्टै हिंदी अनि त्यागानुं शुभराती प्रो श्रीनगीन लाग शाह स्था प्रातरमाग उद्याध शाह यसिहरापी" बैन साहित्स्ना जुल्छ इतिहास" mia? थार प्रकाशित ईश्या नदुर्गय य समे तमना या प्रयासन अंतरथा यापारीय छाया जब है योग गुलाशिष खायला बडगा पाया छाया के तमा या प्रयास ने गुक्राती साउरो, विज्ञा सुखी, पायले उपजकाथी पछावश म साहित्यमा मन विषया जी कागद्वारी સંબા અમરની ઉપાસના દ્વારા અવશ્ય અનાર સંબ नयी शुल Jain Education International C cata शुभेच्य १४ सी-यशोकपि चि-सं २०५० महा-शु-१13 जुधवार गोपासाया मुंबंध For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001313
Book TitleAgamik Vyakhyao Jain History Series 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta
Publisher108 jain Tirth Darshan Trust
Publication Year2007
Total Pages546
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, History, & agam_related_other_literature
File Size9 MB
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