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सत्य हरिश्चन्द्र
हरिश्चन्द्र - गाथा के प्रति था,
उनका कुछ आग्रह गुरुतर ।
कहूं, आपके आग्रह का ही,
यह मधु - फल है श्रेयस्कर |
पटियाला, पंजाब राज्य है,
पुर महेन्द्रगढ़ सुखकारी । राजा श्री ज्वाला प्रसाद जी,
जिन मत की शोभा भारी ।
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तत्सुत राजा माणकचन्दजी,
महावीरजी प्रिय
धर्म - प्राण माता श्री ' अचला'
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धर्म - भाव सद्गुण धारक ।
कई लाख का द्रव्य दान कर, दृढ़ जैनत्व दिपाया
जिन - शासन की सेवा का शुभ प्रेम - भाव
चातुर्मास शान्ति सुख दायक,
बना स्मरण - आधार वहाँ का,
श्रावक ।
मधुर भाव उन्मेष लिए ।
विक्रमार्क दो सहस्र एक का,
दरशाया है ।
यह लघु काव्य प्रवेश लिए ।
हरिश्चन्द्र की जीवन - गाया,
श्रावण मास सरस सुन्दर,
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पूर्ण हुई जग - मंगल कर ।
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