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________________ १८६ सत्य हरिश्चन्द्र हरिश्चन्द्र - गाथा के प्रति था, उनका कुछ आग्रह गुरुतर । कहूं, आपके आग्रह का ही, यह मधु - फल है श्रेयस्कर | पटियाला, पंजाब राज्य है, पुर महेन्द्रगढ़ सुखकारी । राजा श्री ज्वाला प्रसाद जी, जिन मत की शोभा भारी । - तत्सुत राजा माणकचन्दजी, महावीरजी प्रिय धर्म - प्राण माता श्री ' अचला' Jain Education International धर्म - भाव सद्गुण धारक । कई लाख का द्रव्य दान कर, दृढ़ जैनत्व दिपाया जिन - शासन की सेवा का शुभ प्रेम - भाव चातुर्मास शान्ति सुख दायक, बना स्मरण - आधार वहाँ का, श्रावक । मधुर भाव उन्मेष लिए । विक्रमार्क दो सहस्र एक का, दरशाया है । यह लघु काव्य प्रवेश लिए । हरिश्चन्द्र की जीवन - गाया, श्रावण मास सरस सुन्दर, · पूर्ण हुई जग - मंगल कर । * For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001309
Book TitleSatya Harischandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1988
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size8 MB
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