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________________ यह क्या हो रहा है? यह क्यों हो रहा है? धर्म प्रधान एव धर्म प्राण कहे जाने वाले भारत की पुण्यभूमि का भद्र मानव, आज इतना अभद्र क्यों और कैसे होता जा रहा है? यह एक बड़े गंभीर आश्चर्य की बात है । यों तो प्राचीन काल में भी कभी-कभी मनुष्य का अन्दर का सोया हिंस्र पशुत्व बुरी तरह जाग उठता था और संहार लीला पर उतर आता था । पर, वह कुछ ही उन्मादी लोगों की ओर से की गई दुर्घटनाएँ हैं । उनमें अधिकतर वैयक्तिक विद्वेष वृत्ति के विष बीज ही अधिक हैं । स्कन्दक मुनि और उनके पाँच सौ शिष्यों को तिलों की तरह कोल्हू में पीस दिया गया था, राम-काल से कुछ समय पूर्व में । दक्षिण में दिगम्बर मुनियों के उत्पीडन की कथाएँ भी कम नहीं हैं । गजसुकुमाल मुनि को मस्तक पर आग रख कर जला दिया गया था, श्री नेमिनाथ के युग में | और भी कुछ घटनाएँ हैं, जो आज पौराणिक रूप ले चुकी हैं, अत: इतिहास के धुंधलके में कुछ धूमिल-सी हो गई हैं । परन्तु, आजकल तो जो कुछ हो रहा है, वह तो अतीव विचित्र शर्मनाक हो रहा है | 'आत्मवत्सततं पश्येदपि कीटपिपीलिकाम्' के महान् मैत्री एवं करुणा के आदर्श पर चलने वालों के हाथों में और तो क्या, संसार त्यागी विरक्त साधु-सन्तों तक का उत्पीड़न हो रहा है । कितने निम्न स्तर पर उतर ...(३४२) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001307
Book TitleChintan ke Zarokhese Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherTansukhrai Daga Veerayatan
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size12 MB
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