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________________ बाल - जीवन पर अत्याचार केवल औद्योगिक क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है । अन्य अनेक क्षेत्रों में भी यह दानवी लीला चल रही है । - देवी देवताओं की प्रसन्नता के लिए बच्चों की बलि दी जाती है । - अपराध कर्मियों द्वारा बच्चे चुराए जाते हैं, फिरौती मांगी जाती है और उनकी जघन्य हत्या भी कर दी जाती है | इन्हीं दो वर्षों में ही बिहार के नवादा आदि जिलों में लगभग ६५० बच्चे अपहृत किए गए और अन्ततः उनकी हत्या कर दी गई। - बच्चों के साथ अप्राकृतिक यौनाचार से सम्बन्धित बलात्कार की घटनाएँ भी आए दिन होती रहती हैं । - अनेक बच्चों के बुरी तरह अंग - भंग कर दिए जाते हैं, इसलिए कि उनकी दयनीय स्थिति से भिखारियों को भीख अच्छी तरह मिल सके। - राजनीति की दलगत क्रूरता भी कम भयंकर नहीं है, जो बच्चों के साथ खेल की तरह की जा रही है । कुछ समय हुआ ईरान में विद्रोही पक्ष की ९-१० वर्ष की सुकुमार लड़कियों तक को सार्वजनिक रूप से बन्दूक की गोलियों से भून दिया । ईरान ही क्यों, अन्यत्र भी कमो वेश यही स्थिति है । - व्यक्तिगत शत्रुता का बदला लेने के लिए भी अधिकतर बच्चे ही मौत के घाट उतारे जाते हैं । ___मैं विचार में पड़ जाता हूँ, बालकों पर इस प्रकार जघन्य अत्याचार करने वाले अधिकतर भद्र श्रेणी के लोग ही होते हैं । वे मन्दिरों, मस्जिदों आदि पूजा-स्थानों में नियमित रूप से जाते हैं, भावभरी-मुद्रा में धर्माराधना करते हैं, बहुमूल्य चढ़ावा चढ़ाते हैं, अपने कुशल-मंगल की दीनता - भरी याचना भी करते हैं और इधर अबोध बालकों पर अक्षम्य एवं असह्य जुल्म भी ढाते हैं। यह कितना बड़ा अधर्म एवं पापाचार है, इसका इन्हें तनिक भी भान नहीं है । मैंने देखा है, कुछ राम और कृष्ण के भक्तों को, सन्त तुलसीदास एवं भक्त सूरदासजी आदि के द्वारा वर्णित राम और कृष्ण की बाल-लीला बड़े प्रेम से भाव-विभोर होकर झूम-झूम कर पढते-गाते हैं, नाचते हैं, परन्तु ये ही भक्तराज जरा - सी भूल होते ही बाल-कृष्ण रूप घरेलू बाल सेवकों को माँ बहन की भद्दी-भद्दी अश्लील गालियाँ देते हैं, बेदर्दी से मारते-पीटते भी हैं । यह कैसा विचित्र दुहरा रूप है, धार्मिक मानसिकता का। (३१३) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001307
Book TitleChintan ke Zarokhese Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherTansukhrai Daga Veerayatan
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size12 MB
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