________________
भी अधिक भीषण उत्तेजनात्मक योजनाओं को मूर्तरूप देने की परिकल्पनाओं के व्यामोह में ।
चाहे धर्मगुरु हों, चाहे राजनीतिक नेता हों, जनकल्याण भाषणों की भीषण गर्जनाओं और अनर्गल नारों से नहीं होगा । वह होगा, जनकल्याण का रचनात्मक मार्ग अपनाने से । ध्वंस के उपक्रमों से सृजन नहीं, ध्वंस ही होता है। जनता में जाइए, चुपचाप मौन भाव से पीड़ित जनता की जो बन सके, सेवा कीजिए । फूल में सुगन्ध होगी, तो भ्रमरों की टोलियाँ अपने आप आकर गुनगुनाने लगेंगी ।
हूजूमे बुलबुल हुआ चमन में किया जो गुल ने जमाल पैदा । कमी नहीं कद्रदाँ की ' अकबर, करे तो कोई कमाल पैदा ||
अगस्त १९७५
Jain Education International
(५८)
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org