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________________ १२५ १३० १३९ १४५ १५१ १५७ १६९ १७५ १८१ १८५ मैं सबका हूँ, सब मेरे है हिंसा और अहिंसा का मौलिक विश्लेषण मैत्री का सूत्रपात अहंभाव से मुक्ति ही यथार्थ मुक्ति साधना की दो धाराएँ विश्वमंगल का संदेशवाहक : पर्युषण पर्व विराट आत्माओं की विलक्षणता सर्वतोमुखी क्रान्ति के सूत्रधार महाश्रमण महावीर जीवन का मूलतत्व है शुभाशा मानव, खोल मन की आँख महत्ता शब्द की नहीं, भाव की है मन को यथाप्रसंग खाली करते रहिए अनाकुलता का मूल मंत्र नियतिवाद एक ऐतिहासिक पर्यवेक्षण -समयोचित परिवर्तन : एक जीवन्त प्रक्रिया वह सांस्कृतिक गरिमा आज कहाँ है ? विचारों के बीज यह है मानवता ! मातृजाति की गरिमा का प्रश्न ? नये वर्ष की आवाज सिद्धगिरि वैभार का गरिमामय इतिहास अहिंसा : एक अनुचिन्तन । साध्वियों की पद-यात्रा अंध विश्वासों की सघन अंध रात्रि क्यों ? भक्ति प्रदर्शन नहीं, दर्शन है यह सत्य की पूजा नहीं, हत्या है साधु-साध्वियों द्वारा यान-प्रयोग : एक स्पष्टीकरण १९६ २०६ २११ २१४ २१७ २२० २२४ २२९ २३५ २४१ २४७ २५० २५७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001306
Book TitleChintan ke Zarokhese Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherTansukhrai Daga Veerayatan
Publication Year1988
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size13 MB
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