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विषयानुक्रम
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नवपथ का निर्माण करो; राही ! नव-सृजन की प्रक्रिया का अनिवार्य अंग है, परिवर्तन समज और समाज के बीच की रेखा पूर्वाग्रह-मुक्त चिन्तन ही सत्य चिन्तन है
आँख खोल कर देखो, परखो समन्वय में ही अहिंसा का मूल है जरूरत है, सम्हलकर चलने की शुभाशा का सन्देशवाहक : नव वर्ष सक्रिय मन ही महान है पाप, पुण्य कर्म में नहीं, भाव में हैं जन-युग के निर्माता महावीर जीवन रथ के दो सुचक्र महाश्रमण महावीर की उभयमुखी क्रान्ति परिवर्तन अनिवार्य है शब्द नहीं, कर्म अन्तर् में शुभ भावना के बीज बोते रहिए तरुण, तरुण है : साहस की अखण्ड ज्योति महावीर की दृष्टि में नारी की गरिमा तमस् है, तो दीप जलाओ जीवन कैसा हो ? क्रान्ति के देवता श्रमण भगवान महावीर जीवन स्वयं ही एक दर्शन है सही सुख क्या है ? सुख-दु:खों के दास नहीं, स्वामी बनिए अशान्ति का मूल कहाँ है ? प्रतिक्रमणं परमौषधम् साहस की दहकती ज्वालाओं में से गुजरिए महामन्त्र : संकल्प प्रश्न है, तुम क्या होना चाहते हो ?
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