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शिक्षा और विद्यार्थी जीवन ४६७ से सोचना चाहिए । जीवन के द्वारा, जीवन के लिए, जीवन की शिक्षा ही वस्तुतः शिक्षा का आदर्श स्वरूप है। इसी से निकली हुई शिक्षा से, हम जीवन के सर्वांगीण शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक — विकास की आशा कर सकते हैं । अतः शिक्षा जीवन की समस्या नहीं, अपितु समाधान बननी चाहिए और वह समाधान तभी बनेगी, जब उसमें सांस्कृतिक चेतना जाग्रत होगी।
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