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प्रमेयकमलमार्तण्डे
सो ऐसे अवधारण से क्या लाभ । वह गोत्व तो अन्य सफेद घोड़ा आदि में भी रह सकेगा। अत: सर्वगत एक सामान्य सिद्ध नहीं होता है उसे तो अनित्य, अनेक, अव्यापक हो स्वीकार करना चाहिए। इस प्रकार बौद्ध का काल्पनिक सामान्य, नैयायिक का सर्वगत नित्य सामान्य और मीमांसक भाट्ट का विशेष के साथ सर्वथा तादात्म्य स्वरूप वाला सामान्य इन तीनों प्रकार का सामान्य सिद्ध नहीं होता, अपितु व्यक्ति व्यक्ति में पृथक् पृथक् रूप से रहने वाला सदृश परिणाम है, वही सामान्य है । ऐसा मानना चाहिए।
॥ सामान्यस्वरूपविचार सारांश समाप्त ॥
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