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प्रमेयकमलमार्तण्डे
अन्वयव्यतिरेकाभ्यां कार्यकारणता. नान्या चेत् कथं भावाभावाभ्यां सा प्रसाध्यते ? तदभावाभावात् लिंगात्तत्कार्यतागतिर्याप्यनुवर्ण्यते 'अस्येदं कार्य कारणं च' इति; संकेतविषयाख्या सा । यथा ‘गौरयं सास्नादिमत्त्वात्' इत्यनेन गोव्यवहारस्य विषयः प्रदर्श्यते । यतश्च 'भावे भाविनिभवनर्मिणि तद्भाव: कारणाभिमतस्य भाव एव कारणत्वम्, भावे एव कारणाभिमतस्य भाविता कार्याभिमतस्य कार्यत्वम्' इति प्रसिद्ध प्रत्यक्षानुपलम्भतो हेतुफलते। ततो भावाभावावेव कार्यकारणता नान्या तेनैतावन्मानं=भावाभावी तावेव तत्त्वं यस्यार्थस्यासावे तावन्मात्रतत्त्वः, सोर्थो येषां विकल्पानां ते एतावन्मात्रतत्त्वार्थाः एतावन्मात्रबीजा: कार्यकारणगोचराः, दर्शयन्ति घटितानिव-सम्बद्धानिवाऽसम्बद्धानप्यर्थान् । एवं घटनाच्च मिथ्यार्थाः ।
किञ्च, असौ कार्यकारणभूतोर्थो भिन्नः, अभिन्नो वा स्यात् ? यदि भिन्नः; तहि भिन्ने का घटना स्वस्वभावव्यवस्थितेः ? अथाऽभिन्नः; तदाऽभिन्ने कार्यकारणतापि का ? नैव स्यात् ।
तो व्यवहार की लघुता के लिये हुआ करते हैं कि प्रत्येक समय या प्रत्येक स्थान पर ऐसा नहीं कहना पड़े कि “इसके होने पर यह होता है और न होने पर नहीं होता। अभिप्राय यह हुआ कि कारण और कार्य को छोड़कर अन्य तीसरा कोई संबंध नामा पदार्थ नहीं है।
कोई पूछे कि अन्वय व्यतिरेक को छोड़कर अन्य कार्य कारणता नहीं है तो उसको भाव अभाव से कैसे सिद्ध करते हैं, तथा कारण के भाव अभाव रूप हेतु से कार्य का अनुमान कैसे होता है कि यह इसका कार्य है और यह इसका कारण है ? सो इस प्रश्न का उत्तर यही है कि यह कार्य कारणता संकेत विषयक है, जैसे कि यह गाय है क्योंकि सास्नादिमान है “इत्यादि अनुमान में पहले का संकेत किया हया रहता है कि जिसमें ऐसी सास्ना [ गले में लटकता हुअा जो चर्म रहता है उसे सास्ना कहते हैं । हो वह पशु गाय नाम से पुकारा जाता है इत्यादि । यह भी एक बात है कि पदार्थ में होना रूप धर्म रहना कार्य है, एवं कारण रूप से अभिमत पदार्थ ही कारण कहलाता है, पदार्थ में ही आगामी कालीन भाविता कार्यपने से प्रसिद्ध होता है, इसप्रकार प्रत्यक्ष और अनुपलंभ से हेतु और फल की [ कारण कार्य की ] सिद्धि होती है । इसीलिये हम बौद्ध भाव और प्रभाव को ही कार्य कारणपना मानते हैं । भाव और प्रभाव ही है तत्व जिसके उसे या उतने मात्र तत्व को कार्य कारण कहते हैं, और इस तरह के कार्य कारण तत्त्व जिन ज्ञानों के विषय हैं उन्हें विकल्प कहते
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