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________________ १२२ प्रमेयकमलमार्तण्डे भावोभ्युपगन्तव्य : । * क्षणभंगवादः समाप्त: * स्थास आदि अवस्थानों में मिट्टी मौजूद रहती है । पूर्वोत्तर अवस्थाओं में एक ही वस्तु का रहना कहते ही बौद्ध का क्षणवाद खड़ा हुआ, क्योंकि बौद्ध प्रत्येक पदार्थ को क्षणिक मानते हैं । प्रत्यक्षादि प्रमाण से प्रतिभासित पदार्थ का स्वरूप स्थिर, स्थल और साधारण या सदृश परिणाम रूप हैं किन्तु एकान्तवादी बौद्ध पदार्थ को अस्थिर, अर्थात् क्षणिक स्थलता रहित [ परमाणु मात्र ] एवं सदृशता रहित मानते हैं । अस्थिर-क्षणिकत्व धर्म का तो इस प्रकरण "क्षणभंगवाद" में खण्डन किया है, और सदृश या साधारण धर्म की सिद्धि सामान्य स्वरूप विचारनामा प्रकरण में की है। इसके बाद आगे स्थूलत्व धर्म का विवेचन संबंध सद्भाव प्रकरण में होगा। इस तरह पदार्थ, वस्तु या द्रव्य स्थिर, स्थूल और साधारण धर्म वाले होते हैं ऐसा निधि सिद्ध होता है। ४ क्षणभंगवाद समाप्त ४ MARATI 1 :twitor HOTMA Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.001278
Book TitlePramey Kamal Marttand Part 3
Original Sutra AuthorPrabhachandracharya
AuthorJinmati Mata
PublisherLala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
Publication Year
Total Pages762
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size16 MB
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