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________________ बिशिष्ट शब्दावली ६३३ त्रिगुणात्मक-तीन गुण वाला, प्रधान तत्त्व में सत्त्व रज और तम ऐसे तीन गुण होते हैं ऐसा सांख्य मानते हैं। तर्क प्रमाणवाद-जहां जहां साधन ( हेतु ) होता है वहां वहां साध्य अवश्य होता है इत्यादि रूप से साध्य साधन को सर्वोपसंहार से ज्ञात करने वाला ज्ञान तर्क प्रमाण कहलाता है। इसी को तर्क प्रमाणवाद कहते हैं। (द) द्रव्य वाक्य-शब्द रूप वचन रचना एवं लिखित रचना को द्रव्य वाक्य कहते हैं। दृष्टेष्ट विरुद्ध वाक्-दृष्ट-प्रत्यक्ष और इष्ट मायने परोक्ष इन दोनों प्रमाणों से विरुद्ध वचन को दृष्टेष्ट विरुद्ध वाक् कहलाती है। (ध) धर्म-पुण्य । धर्म द्रव्य । सच्चे शाश्वत सुख में धरने वाला धर्म । (न) निर्जरा-कर्मों का एक देश क्षय होना या झड़ जाना निर्जरा कहलाती है। निवर्तमान-नास्ति रूप से प्रतिभासित होने वाला ज्ञान । लौटता हुआ। निःश्रेयस - मोक्ष या मुक्ति। नैरात्म्यभावना-चित्त सन्तान का निरन्वय नाश होता है अर्थात् मोक्ष में प्रात्मा नष्ट होता है, ऐसा बौद्ध का कहना है, जगत के यावन्मात्र विवाद तथा संकल्प विकल्प आत्मा मूलक है अतः आत्मा का आस्तित्व ही स्वीकार नहीं करना चाहिये ऐसा माध्यमिक आदि बौद्ध का कहना है । इसो भावना को नैरात्म्य भावना कहते हैं। निरवयव–अवयव रहित । निरन्वय-मूल से समाप्त होना । (प) परिच्छेद-जानने योग्य । प्रधान-सांख्य मत का एक तत्त्व, प्रमुख को भी प्रधान कहते हैं। प्रकृति-सांख्य के प्रधान का दूसरा नाम प्रकृति है। प्रकृति का अर्थ स्वभाव भी है। प्रमेय-प्रमाण द्वारा जानने योग्य पदार्थ । प्रवर्त्तमान-अस्तित्व रूप से प्रवृत्ति करने वाला प्रमाण । प्रशस्तमति-योग मत का ग्रन्थकार । प्रकृतिकर्तृत्ववाद- सांख्य का कहना है कि प्रकृति नाम का जड़ तत्त्व जगत का कर्ता है। प्रेक्षावान् बुद्धिमान् । परमौदारिक-सप्त धातु रहित अरिहंत का शरीर । परघात-जिस कर्म के उदय से पर के घात करने वाले शरीर के अवयव बने उस कर्म को , परघात नाम कर्म कहते हैं। प्रत्यवाय-विघ्न । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001277
Book TitlePramey Kamal Marttand Part 2
Original Sutra AuthorPrabhachandracharya
AuthorJinmati Mata
PublisherLala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
Publication Year
Total Pages698
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size15 MB
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