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शब्दनित्यत्ववादः
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तत्सहकारिणः पृथिव्यादेविशिष्टस्य गन्धस्योत्पत्तेः पूर्व तत्र तत्सद्भावावेदकप्रमाणाभावात् । कारकाणां चैकेन्द्रियग्राह्य समानदेशे च कार्ये नियमो दृष्टः । यथैकत्र स्थिता अपि यवबीजादयो न सर्वे शाल्यंकुरं यवांकुरं चोत्पादयन्ति, किन्तु शालिबीजमेव शाल्यंकुरं यवबीजं च यवांकुरम् इति ।
एतेन 'अन्यस्ताल्वादिसंयोगैः' इत्यादि निरस्तम्; कथम् ? ध्वन्यन्तरसारिभिस्ताल्वादिभिर्यद्यपि ध्वन्यन्त राक्षेपो नास्ति तथापि य एव तैराक्षिप्यते तत एव सर्ववर्णश्रु तेर्वन्यन्तराक्षेपपक्षदोषस्तदवस्थः । तन्न शब्दसंस्कारोभिव्यक्तिर्घटते ।
भावार्थ - व्यंजककारण और कारककारण इनमें समानता नहीं है। जैसे एक ही प्रदीप प्रकोष्ठक में स्थित सभी पदार्थों को प्रकाशित कर देता है, एक ही सूर्य भूमंडलको प्रकाशित करता है इस प्रकारका अभिव्यंजक कारण स्वयं एक होकर भी अनेकों को प्रकाशित करने रूप अनेक कार्योंको करता है। किन्तु कारक कारण ऐसा नहीं होता, जैसे एक यव बीज रूप कारक कारण एक हो यवांकुर को उत्पन्न करता है अन्य यवांकुर एवं शालि अंकुरको उत्पन्न नहीं कर सकता, एक मिट्टी रूप कारक कारण घट को ही उत्पन्न करता है वस्त्रादि को नहीं, इस प्रकार कारक और व्यंजक में महान अंतर है । इसलिये मीमांसक ने ऊपर जो दृष्टांत दिया था कि भूमिकी गंध और शरीरकी गंध गंधकी अपेक्षा एक व्यंग्य रूप होकर भी उनके व्यंजक में भेद है भूमि गंध जलसेक रूप व्यंजक से प्रगट होती है और शरीर गंध उबटनादि से, ऐसे ही शब्द रूप व्यंग्य एक होने पर भी उसके व्यंजक ध्वनिमें भेद होगा इत्यादि सो यह दृष्टांत गलत है, क्योंकि प्रथम तो इस दृष्टांत में व्यंजक कारण न होकर कारक कारण है अर्थात् जल सेकादि कारण गंधको प्रगट नहीं करते अपितु उत्पन्न ही करते हैं, दूसरे, कारक और व्यंजक में अंतर है। कारक एक ही कार्यको करने वाला होता है अतः अनेक कार्योंके कारकों में भेद सिद्ध होता है किन्तु आप ध्वनिको शब्दका अभिव्यंजक मानते हैं न कि कारक अतः दीपकके समान एक ही ध्वनि द्वारा संपूर्ण शब्द (या वर्ण) एक साथ प्रगट होने का अतिप्रसंग आप मीमांसक के यहां अवश्य आता है ।
इसीप्रकार “अन्य तालु अादिके संयोग से अन्य शब्दका संस्कार नहीं होता" इत्यादि पूर्वोक्त कथन भी खंडित होता है, कैसे सो बताते हैं- यद्यपि ध्वन्यन्तर को करने वाले तालु आदिके व्यापार से अन्य ध्वनिका आक्षेप ( अन्य ध्वनिको उत्पन्न करना ) नहीं होता है तथापि तालु आदिसे जो भी कोई एक ध्वनि उत्पन्न की जायगी
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