SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 313
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमेयकमलमार्त्तण्डे शीताभिरद्भिः संसृष्टः शीतो भवति, अग्निना संयुक्तो (वा) उष्णो भवति, एवं महदादि लिङ्गमचेतनमपि भूत्वा चेतनावद् भवति ( माठरवृत्ति गौडपादभाष्य ) " । पुरुष के संसर्ग के कारण ही महान् प्रादि तत्त्व प्रचेतन होते हुए भी चेतन के समान मालूम पड़ते हैं । वैसे ही सत्त्व आदि गुणों में ही कर्तृत्व है, तो भी पुरुष को कर्त्ता माना जाता है । अर्थात् चेतन स्वभावी पुरुष के संयोग में अपने से महान आदि लिङ्ग अध्यवसाय अर्थात् ज्ञान तथा अभिमान, संकल्प, विकल्प, विचार आदि क्रियाओं में चेतन के समान ही प्रवृत्ति किया करते हैं । जिस प्रकार घड़ा स्वतः न उष्ण है और न शीत है किन्तु शीतल जलके संसर्ग से शीत और अग्नि की उष्णता के संसर्ग से उष्ण कहलाता है, उसी प्रकार महान बुद्धि प्रादि तत्व स्वतः प्रचेतन होते हुए भी चेतनावान् जैसे बन जाते हैं । इस विवेचन से अच्छी तरह से सिद्ध होता है कि ज्ञान जड़ प्रकृति का धर्म या विवर्त्त है, पुरुष आत्मा का नहीं है, अतः बुद्धि या ज्ञान अचेतन है । ज्ञान अचेतन इसलिये है कि वह अनित्य है । मूर्तिक- आकारवान् है, और पुरुष नित्य मूर्त का गुण धर्म वाला है । सो इस प्रकार से वह ज्ञान प्रकृति का ही धर्म हो सकता है आत्मा पुरुष का नहीं, क्योंकि पुरुष तो सर्वथा नित्य है कूटस्थ है, अमूर्तिक, अकर्त्ता है, अतः नित्य ज्ञान उसका होना शक्य नहीं है, हां उसका अध्यारोप पुरुष में अवश्य होता है, उस अध्यारोपित व्यवहार से पुरुष को ज्ञाता, ज्ञानवान्, बुद्धिमान् आदि नामों से कहा जाता है, वास्तविक रूप में पुरुष तो मात्र चैतन्यशाली है । इस प्रकार बुद्धि-ज्ञान- जड़ प्रधान से उत्पन्न होने कारण अचेतन है, यह निर्बाध सिद्ध हुआ । २६२ Jain Education International इस प्रकार से ज्ञान को अचेतन मानने वाले सांख्य (तथा योग का ) का पूर्वपक्षरूप कथन समाप्त For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001276
Book TitlePramey Kamal Marttand Part 1
Original Sutra AuthorPrabhachandracharya
AuthorJinmati Mata
PublisherLala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
Publication Year1972
Total Pages720
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Nyay
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy