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प्रमेयकमलमार्तण्डे
ज्ञानेनोत्तरकालभावी बाधाविरहो ज्ञातु शक्यः; तद्धि स्वसमानकालं नीलादिकं प्रतिपद्यमानं कथम् 'उत्तरकालमप्यत्र बाधकं नोदेष्यति' इति प्रतीयात् ? पूर्वमनुत्पन्नबाधकानामप्युत्तरकालं बाध्यमानत्वदर्शनात् । नाप्युत्तरज्ञानेनासौ ज्ञायते; तदा प्रमाणत्वाभिमतज्ञानस्य नाशात् । नष्टस्य च बाधाविरहचिन्ता गतसर्पस्य घृष्टिकुट्टनन्यायमनुकरोति । कथं च बाधाविरहस्य ज्ञायमानत्वेपि सत्यत्वम् ; ज्ञायमानस्यापि केशोण्डुकादेरसत्यत्वदर्शनात् ? तज्ज्ञानस्य सत्यत्वाच्चेत् ; तस्यापि कुत: सत्यता ? प्रमेयसत्यत्वाच्चत् ; अन्योन्याश्रयः। अपरबाधाभावज्ञानाच्चेत्; अनवस्था । अथ संवादादुत्तरकाल.
समाधान-यह भी असंगत है, यहां बाधा के अभावको आपने प्रमाण माना है और इस कथन में क्या बाधा आती है सो देखिये-यदि बाधा का अभाव, प्रमाण में प्रमाणता का कारण है तो वह कब होता है ? तत्काल में या उत्तरकाल में ? तत्काल में कहो तो ऐसा बाधा का अभाव तो मिथ्याज्ञान में भी है, अर्थात् ज्ञान सत्य हो या मिथ्या हो सभी ज्ञानों में वस्तु को जानते ही तत्काल जो उसकी झलक होती है उसमें उस समय तो कोई बाधा नहीं रहती। उत्तरकाल में कहो तो क्या वह बाधा का अभाव जाना हुआ रहता है या नहीं ? यदि जाना हुआ नहीं रहता है तो “वह वहां है" ऐसा कैसे कहा जा सकता है ? यदि बाधा का अभाव ज्ञात है तो उसे किस ज्ञान ने जाना, उस पूर्वज्ञान ने कि उत्तरज्ञान ने ? पूर्वज्ञान ने जाना ऐसा तो कह नहीं सकते, क्योंकि आगे होनेवाला बाधा का प्रभाव उससे कैसे जाना जायगा, वह पूर्वकालीन ज्ञान तो अपने समान काल वाले नीलादि वस्तु का ही ग्राहक होगा, वह विचारा यह कैसे कह सकेगा कि आगे इसमें बाधा नहीं आवेगी ? क्योंकि पहिले जिसमें बाधा नहीं आई है ऐसे ज्ञानों में भी आगे के समय में बाधा आती हुई देखी जाती है। यदि कहा जाय कि उत्तरकाल के ज्ञान के द्वारा बाधा का अभाव जाना जाता है तो प्रमाणरूप से माना गया वह पहिला ज्ञान तो अब नष्ट हो चुका, (उत्तरकाल में ) नष्ट होने पर उसमें बाधा के अभाव की क्या चिन्ता करना ? सर्प निकलजाने के बाद उसकी लकीर को पीटने के समान नष्ट हुए ज्ञानमें बाधाविरह की चिन्ता व्यर्थ होगी। तथा—यह ज्ञान बाधारहित है अतः सत्य है यह भी कैसे कहा जा सकता है, क्योंकि पूर्वकाल में अनुभूत हुअा केशों में मच्छर आदि का ज्ञान असत्य हो जाता है। .
भाट्ट- बाधारहित होने से उस पूर्वज्ञान में सत्यता मानी जाती है ? जैन-अच्छा, तो यह बताइये कि वह सत्यता किस कारण से आई है।
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