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बौद्धाभिमत निर्विकल्पक प्रत्यक्षस्य खंडनम्
विकल्पवासनाप्रबोधकत्वाभावाच्चेत्; अन्योन्याश्रयः सिद्धो हि क्षरणक्षयादी दर्शनस्य विकल्पवासनाप्रबोधकत्वाभावे तल्लक्षणाभ्यासाभावसिद्धि;, तत्सिद्धी चास्य सिद्धिरिति । क्षणिकाक्षणिकविचारणायां क्षणिकप्रकरणमप्यस्त्येव । पाटवं तु नीलादौ दर्शनस्य विकल्पोत्पादकत्वम्, स्फुटतरानुभवो वा स्यात् प्रविद्यावासनाविनाशादात्मलाभो वा ? प्रथमपक्षे - अन्योन्याश्रयात् । द्वितीयपक्षे तुक्षणक्षयादावपि तत्प्रसङ्गः स्फुटतरानुभवस्यात्राप्यविशेषात् । तृतीयपक्षोप्ययुक्तः; तुच्छ स्वभावा
जैन - अच्छा, तो यह बताइये कि अभ्यास किसे कहते हैं ? भूयो दर्शन को अर्थात् बार-बार देखने को कहो तो कह नहीं सकते, क्योंकि वह तो नीलादि की तरह क्षरण क्षयादि में भी समान ही है । यदि बहुत बार विकल्प पैदा करने को अभ्यास कहें तो वह क्षण-क्षयादि में क्यों नहीं - यह बताना होगा ।
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बौद्ध — विकल्प वासना का वह वहां प्रबोधक नहीं होता है अतः क्षण क्षयादि में अभ्यास का प्रभाव है।
जैन - ऐसा कहो तो अन्योन्याश्रय दोष आता है । देखिये जब क्षण क्षयादि में दर्शन के विकल्प वासना के प्रबोधकपने का प्रभाव सिद्ध होगा तब इस दर्शन को क्षण-क्षयादिक में विकल्प उत्पन्न न करने की सिद्धि होगी, और जब विकल्प उत्पन्न न करने की सिद्धि होगी तब विकल्प वासना के प्रबोधकपने का प्रभाव सिद्ध होगा । इस प्रकार अभ्यास के प्रभाव के कारण क्षण-क्षयादि में विकल्प उत्पन्न नहीं करता है - यह बात समाप्त हो गई । प्रकरण भी क्षरण-क्षयादि में है ही क्योंकि क्षणिक और अक्षणिक के विषय का विचार चलता ही है ।
तीसरा पक्ष - जो पाटव हैं वह क्या है ? क्या निर्विकल्प दर्शन का नीलादि में विकल्प को उत्पन्न करना यह दर्शन का पाटव है, अथवा उनका स्पष्ट अनुभव होना उसका पाटव है, या श्रविद्या वासना के नाश होने से आत्म लाभ होना यह पाटव है ? प्रथम पक्ष ठीक नहीं क्योंकि अन्योन्याश्रय दोष भ्राता है । क्षणिकादि में दर्शन के विकल्प वासना के प्रबोधक का प्रभाव सिद्ध होने पर विकल्पोत्पादक लक्षण वाला पाटव का प्रभाव सिद्ध हो और उसके सिद्ध होने पर क्षण क्षयादि में विकल्प वासना के प्रबोधक का अभाव हो । दूसरे पक्ष में प्रर्थात् स्पष्ट अनुभव को पाटव कहते हैं, ऐसा मानने पर भी हम पूछेंगे कि वह दर्शन क्षण-क्षयादि में विकल्प को क्यों नहीं उत्पन्न करता ? क्योंकि स्पष्ट अनुभव तो वहां है ही । तीसरा पक्ष अर्थात् अविद्यावासना के
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