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विकल्प ( ल्प्य ) योरेकत्वाध्यवसायादभिन्नविषयत्वम्; इत्यप्ययुक्तम् एकत्वाध्यवसायो हि दृश्ये विकल्प्यस्याध्यारोपः । स च गृहीतयो:, अगृहीतयोर्वा तयोर्भवेत् ? न तावद्गृहीतयो:; भिन्नस्वरूपतया प्रतिभासमानयोर्घटपटयो रिवैकत्वाध्यवसायायोगात् । न चानयोर्ग्र हरणं दर्शनेन ग्रस्य विकल्प्यागोचरत्वात् । नापि विकल्पेन; प्रस्यापि दृश्यागोचरत्वात् । नापि ज्ञानान्तरेण; प्रस्यापि निर्विकल्पकत्वे विकल्पात्मकत्वे चोक्तदोषानतिक्रमात् । नाप्यगृहीतयोः स सम्भवति प्रतिप्रसङ्गात् । सादृश्यनिबन्धनवारोपो दृष्टः, वस्त्ववस्तुनोश्व नीलखरविषाणयोरिव सादृश्याभावान्नाध्यारोपो युक्तः । तन्नकविषयत्वम् ।
प्रमेयक मलमार्त्तण्डे
अन्यतरस्यान्यतरेण विषयीकररणमपि समानकालभाविनोरपारतन्त्र्यादनुपपन्नम् । श्रविषयी - कृतस्यान्यस्यान्यत्राध्यारोपोप्यसम्भवी । किञ्च विकल्पे निर्विकल्पकस्याध्यारोपः, निर्विकल्प के
प्रतिभासित होते हैं उनमें घट-पट आदि की तरह एकत्व अध्यवसाय हो ही नहीं सकता । अच्छा यह तो बताओ कि दृश्य और विकल्प्य इन दोनों का ग्रहण कौन करेगा ? निर्विकल्प दर्शन के द्वारा तो होता नहीं क्योंकि निर्विकल्प का विकल्प्य विषय ही नहीं है । सविकल्प भी दोनों को नहीं जानेगा, क्योंकि यह स्वलक्षण को नहीं जानता । तीसरा ज्ञान आयेगा तो वह भी निर्विकल्प या सविकल्प हो रहेगा । उसमें वही पहले के दोष आते हैं। बिना दोनों को ग्रहण किये उनमें एकत्वपने का ज्ञान भी कैसे हो ? माने तो अतिप्रसंग दोष आयेगा अर्थात् फिर तो गधा और उसके सींग आदि पदार्थ में भी एकत्व का आरोप करते रहेंगे । अच्छा, आरोप भी होता है तो वह सादृश्य के निमित्त से होता है, किन्तु आपके यहां दृश्य को तो वस्तु रूप और विकल्प्य को अवस्तुरूप माना है, फिर उनमें आरोप कैसे होगा ? अतः नील और गधे के सींग की तरह सदृशता का अभाव सकता है और इसीलिए सविकल्प और निर्विकल्प में एक
होने से अध्यारोप नहीं हो विषयपना भी नहीं है ।
दूसरा पक्ष - विकल्प और निर्विकल्प में से अन्य का अन्य के द्वारा विषय किया जाता है अतः उन दोनों में एक-पने का बोध होता है ऐसा मानना भी बनता
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नहीं । वे दोनों एक साथ होते हैं अतः स्वतन्त्र होने से एक दूसरे के विषय को कैसे ग्रहण करेंगे ? बिना विषय किये अन्य का अन्य स्थान पर आरोप भी काहे का । अंत में आपके मनः समाधान के लिये मान लिया जाय कि आरोप होता है तो यह बताओ कि विकल्प में निर्विकल्प का आरोप है कि निर्विकल्प में विकल्प का आरोप है ? विकल्प में निर्विकल्प का आरोप होता है ऐसा कहो तो सभी ज्ञान निर्विकल्प
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