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निर्विकल्पप्रत्यक्षपूर्वपक्षः "अविकल्पमपि ज्ञानं विकल्पोत्पत्तिशक्तिकम् ।
निःशेषव्यवहारांगं तदुद्वारेण भवत्यतः ॥१३०६॥ यद्यपि प्रत्यक्षज्ञान स्वयं निर्विकल्प है किन्तु उसमें विकल्प को उत्पन्न करने की शक्ति विद्यमान है अतः वह विकल्पज्ञान को उत्पन्न कर देता है, सो जगत् का सविकल्पकरूप व्यवहार चलता है, इसीलिये निर्विकल्प प्रत्यक्ष से उत्पन्न हुए विकल्प ज्ञान में प्रमाणता मानी गई है, सब विकल्पों में नहीं।
* निर्विकल्प प्रत्यक्ष का पूर्व पक्ष समाप्त *
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