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________________ गायानुक्रमणिका [ ९५७ २-२२९ ४-४५८ सत्तढिगयणखंडे सत्तणभणवयछक्का सत्तणवअट्ठसगणव सत्तणवछक्कपणणभ सत्ततिछदंडहत्थंगुलाणि सत्ततियअट्टचउणव सत्तत्तरिजुदछसया सत्तत्तरि सविसेसा सत्तत्तरिसंजुत्तं सत्तत्तरिलक्खाणिं सत्तत्तरि सहस्सा ४-११४३ ४-२०७८ ५-२२२ ७-५२० | सत्तरिसहस्सजायण ७-३३५ | सत्त विसिखासयाणिं ४-२५९९ , सत्तसयचावतुंगो ७-३९३ सत्तसया इक्कहिया २-२६ सत्तसयाणिं चेव य ७-३२३ सत्तसया पण्णासा सत्तसरमहुरगीयं ७-१८७ सत्तसहस्साणि धणू ७-१५१ सत्तसहस्लाणि पुढं ४-१२९७ सत्तहदबारसंसा ७-४०३ सत्तहिददुगुणलोगो सत्ताहियवीसेणं सत्तंबुरासिउवमा सत्ताण अणीयाणं सत्ताणउदी हत्था ४-२५९१ सत्ताणवदीजोयण ४-१४९५ सत्ताणीयाहूर्ण सत्ताणीय होति हु २-२१४ सत्ताणीयाण घरा २-२०१ सत्ताणीयाहिवई २-२८ सत्तारसलक्खाणि २-१६३ सत्तावण्णसहस्सा ८-२३० सत्तावण्णा चोहस ४-१८०४ सत्तावीसहस्सा ४-६२ २-२२८ सत्तावीसं दंडा ७-२५७ सत्तावीसं लक्खं ७-५०७ सत्तावीसं लक्खा ७-२८५ ४-२३८५ २-२४३ सत्तावीसा लक्खा २-१३८ सत्तासीदिसहस्सा ४-२३९७ ८-७७ सत्तासीदी दंडा ८-२१ सत्तीकोदंडगा ८-८० सत्तुस्सासो थोवं ४-१२१९ सत्तेयारसतेवीस ४-११२७ १-२३९ १-२३२ १-१९७ ८-४९८ ८-२५४ २-२४७ २-१९३ ८-३२८ ३-७७ ४-१६८५ ८-२७३ ४-२८२० ४-१७२० ८-१६२ सत्तत्तरी सहस्सा सत्तत्तीससहस्सा सत्तत्तीसं लक्खा सत्तदुदुक्कपंचति सत्तभयअडमदेहि सत्तमए णाकगदे सत्तमखिदिजीवाणं सत्तमखिदिणारइया सत्तमखिदिबहुमज्झे सत्तमखिदीय बहुले सत्तमयस्स सहस्सं सत्तमया तप्परिही सत्त य सण्णासण्णा सत्त य सरासणाणि सत्तरसजोयणाणिं सत्तरसट्ठीणि सत्तरसमुहुत्ताई सत्तरससयसहस्सा सत्तरसं चावाणि सत्तरसं लक्खाणि सत्तरि अभहियसयं सत्तरिजुदअसया सत्तरिसहस्सणवसय ८-६३५ २-२४९ ८-४४ २-१२७ ४-१४५० ४-१४४० २-२६२ ४-१४३४ ४-२८७ -५२६ अत्तरिसहस्सइगिसय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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