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________________ 'मायानुक्रमणिका एकपलिदोवमाऊ ३-१४७ ३-१६४ २-१४५ २-२४० ४-२९२० ५-७० ४-२७६ एकादसलक्खाणि एकोणसट्ठिहत्था एक्कचउक्कचउक्केक्क एक्कचउक्कटुंजण एक्कचउक्कतिछक्का एक्कचउट्ठाणदुगा एक्कच उसोलसंखा - एक्कछछसत्तपणणव - एक्कछणवणभएक्का एक्कटुं छक्केक्कं एक्कट्टियभागकड़े एक्कणवपंचतियसत्त एक्क ति सग दस सतरस एक्कत्तरिलक्खाणिं एक्कत्तरि सहस्सा एक्कत्तालसहस्सा ४-२५६७ ४-२७०९ ४-२५६५ ४-२८६१ ५-१२६ ५-१३४ ८-६९७ ८-१५४ एकमहिया णउदी एकरसतेरसाई एक्करसवण्णगंधं एकरससया इगिवीस एक्करससहस्साणि २-३५१ ४-२१४२ ४-२४४५ ४-२८२८ ७-६०७ ४-१६२० ४-१४८६ ४-६७१ २-१६९ ४-११३४ ७-१२२ ४-२९५७ ७-६०४ ४-२४८२ - एक्कत्तालं दंडा एक्कत्तालं लक्खं एक्कत्तालं लक्खा ४-२०२६ ४-२८०५ एकरस होति रुद्दा ७-३४८ एक्करसो य सुधम्मो एकवरिसेण उसहो एक्कविहीणा जोयण २-२६५ एकसएणब्भहियं ८-२५ एक्कसट्ठीए गुणिदा २-११२ एकसमयं जहण्णं ४-२८३२ एक्कसयं उणदालं ७-२६० एकसयं पणवण्णा ४-३०८ एकसया तेसट्ठी ७-२१३ एक्कसहस्सट्ठसया ४-१९९१ एकसहस्सपमाणं ७-१२३ एकसहस्सं अडसय ७-२२२ एक्कसहस्सं गोउर ७-२४५ एक्कसहस्सं चउसय 'एक्कसहस्सं तिसय ८-५९० | एक्कसहस्सं पणसय २-३११ | एकसहस्सा सगसय -२-२२० । एकस्सि गिरिगडए २-२४२ | एक कोदंडसयं एक्कत्तालेक्कसयं एक्कत्तीसट्टाणे एक्कत्तीसमुहुत्ता एक्कत्तीससहस्सा ५-५३ ८-२३३ ४-४२२ ४-२२७३ ४-११२५ ८-६३२ एक्कदुगसत्तएके एकदुतिपंचसत्तय एकघणुमेकहत्थो एक धणू दो हत्या ४-१७०६ ४-११५१ 1-२४९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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