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________________ ७९४] तिलोयपण्णत्ती [ ८.१६७ताणं गेवजाणं पत्तेक्कं तिणि इंदया चउरो । सेढिगदाण अणुद्दिस अगुत्तरे इंदया हु एकेका ॥ १६७ सेढीणं विच्चाले पहरणकुसुमोवमाणसंठाणा । होति पइण्णयणामा सेटिंदयहीणरासिसमा ॥ १६८ इगितीसं लक्खाणि पणणउदिसहस्स पणसयाणि पि । अट्ठाणउदिजुदाणिं पइण्णया होंति साहम्मे । १६९ ३१९५५९८ । सत्तावीसं लक्खा भडणउदिसहस्स पणसयाणि पि । तेदाल उत्तराई पहाण या होति ईसाणे ॥ १७० २७९८५४३॥ एक्कारसलक्खाणिं णवणउदिसहस्स चउसयाणि पि । पंचुत्तराइ कप्पे सणक्कुमारे पइण्णया होति ।। १७१ ११९९४०५ । सस च्चिय लक्खाणिं णवणउदिसहस्सयाणि अट्ठसया। चउरुत्तराइ कप्पे पइण्णया होति माहिदे ॥ ७९९८०४ । छत्तीसुत्तरछसया णवणउदिसहस्सयाणि तियलक्खा । एदाणि बम्हकप्पे होति पइण्णयविमाणाणि ॥ १७३ ३९९६३६ । उन प्रैवेयोंमेंसे प्रत्येकमें तीन इन्द्रक हैं | अनुदिश और अनुत्तरमें चार श्रेणीबद्ध और एक एक इन्द्रक है ॥ १६७ ॥ श्रेणीबद्ध विमानोंके बीचमें विखरे हुए कुसुमोंके सदृश आकारबाले प्रकीर्णक नामक विमान होते हैं । इनकी संख्या श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णकोंसे हीन अपनी अपनी राशिके समान है ॥ १६८॥ सौधर्म कल्पमें इकतीस लाख पंचानबै हजार पांच सौ अट्ठानबै प्रकीर्णक विमान हैं ॥ १६९ ॥ ३१९५५९८ । ईशान कल्पमें सत्ताईस लाख अट्ठानबै हजार पांच सौ तेतालीस प्रकीर्णक विमान हैं ॥ १७० ॥ २७९८५४३ । सनत्कुमार कल्पमें ग्यारह लाख निन्यानबै हजार चार सौ पांच प्रकीर्णक विमान हैं ॥ १७१ ॥ ११९९४०५ । माहेन्द्र कल्पमें सात लाख निन्यानबै हजार आठ सौ चार प्रकीर्णक हैं ॥ १७२ ।। ७९९८०४। ब्रह्म कल्पमें तीन लाख निन्यानबै हजार छह सौ छत्तीस, इतने प्रकीर्णक विमान हैं ॥ १७३ ॥ ३९९६३६ ।। १६ व पदण्णकंसुउवमाण°. २द पंचुत्तराइ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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