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७७८] . तिलोयपण्णत्ती
[८.५८अट्ठावण्णा दुसया बत्तीससहस्स सत्तरसलक्खा । जोयणया दोषिण कला वालो सुरसमिदिणामस्स ॥ ५८
१७३२२५८३ सोलसजायणलक्खा इगिसट्रिसहस्स दुसयणवदीओ। दसमेत्ताओ कलाओ बम्हिदयरुंदपरिसंखा ।। ५९
१६६१२९०३९ बावीसतिसयजोयण णउदिसहस्साणि पण्णरसलक्खा । अट्ठारसा कलाओ अम्हुत्तरईदए वासो ।। ६०
१५९०३२२ ३० पउवण्ण तिसयजोयण उणवीस सहस्स पारसलक्खा। छच्चीसं च कलाओ वित्थारो बम्हहिदयस्स ॥६१
१५१९३५४ | २६ बोहसजोयणलक्खं अदालसहस्पतिसयसगसीदी। तिणि कलाओ लंतवइंदस्स य होइ परिमाणं ।। ६२
तेरसजोयणलक्खा चउसय सत्तत्तरीसहस्साणिं । उणवीसं एक्करसा कलाओ महसुक्कविक्खंभो ॥ ६३
१३७७४१९३॥
सुरसमिति नामक इन्द्रकका विस्तार सत्तरह लाख बत्तीस हजार दो सौ अट्ठावन योजन और दो कला अधिक है ॥ ५८ ॥ १७३२२५८३० ।
ब्रम्ह इन्द्रकके विस्तारका प्रमाण सोलह लाख इकसठ हजार दो सौ नब्बै योजन और दश कला मात्र अधिक है ॥ ५९ ॥ १६६१२९०३३।।
ब्रम्होत्तर इन्द्रकका विस्तार पन्द्रह लाख नब्बै हजार तीन सौ बाईस योजन और अठारह कला अधिक है ॥ ६०॥१५९०३२२३१ ।
ब्रम्हहृदय इन्द्रकका विस्तार पन्द्रह लाख उन्नीस हजार तीन सौ चौवन योजन और छब्बीस कला अधिक है ॥ ६१॥ १५१९३५४३३ ।
लांतव इन्द्रकके विस्तारका प्रमाण चौदह लाख अड़तालीस हजार तीन सौ सतासी योजन और तीन कला अधिक है ॥ ६२ ॥ १९४८३८७३३३ ।
महाशुक्र इन्द्रकका विस्तार तेरह लाख सतत्तर हजार चार सौ उन्नीस योजन और ग्यारह कला अधिक है ॥ ६३ ॥ १३७७४१९ । ।
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