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________________ -७. ४० सत्तमो महाधियारो [७२७ . सत्तत्तरि सहस्सा छस्सय इगिदाल जोयणाणि कला । एक्कासट्ठी मंजुसणयरीपणिहीए तमखेतं ॥ ५०५ बासीदिसहस्साणि सत्तत्तरिजोयगा कलाओ वि । पंचत्तालं भोपहिपुरीए बाहिरपट्टिदक्कम्मि ॥ १०४ २०७० ३० सत्तासीदिसहस्सा बेसयचउवीस जोयणा अंसा । एक्कत्तरी अतमिसप्पणिधीए' पुंडरीगिणीणयरे ॥ ४०५ चउणउदिसहस्सा पणसयाणि छन्वीस जोयणा असा । सत्त य दसपविहत्ता बहिपहतवणम्मि पठमपहतिमिरं॥ . चउणउदिसहस्सा पणसयाणि इगितीस जोयणा अंसा। चत्तारो पंचहिदा बहिपहभाणुम्मि विदियपहतिमिरं । चउणउदिसहस्सा पणसयाणि सगतीस जोयणा मंसा । तदियपहतिमिरखेत्तं बहिमग्गठिदे सहस्सकरे॥४०८ मंजूषा नगरीके प्रणिधिभागमें तमक्षेत्र सतत्तर हजार छह सौ इकतालीस योजन और इकसठ कला अधिक रहता है ॥ ४०३ ॥ ७७६४१६६ । सूर्यके बाह्य मार्गमें स्थित होनेपर औषधीपुरीमें तमक्षेत्र व्यासी हजार सतत्तर योजन पैंतालीस कला प्रमाण रहता है ।। ४०४ ॥ ८२०७७४५ । पुण्डरीकिणी नगरके प्रणिधिभागमें तमिस्रक्षेत्र सतासी हजार दो सौ चौबीस योजन और इकत्तर भाग अधिक रहता है ॥ ४०५ ॥ ८७२२४४४। . सूर्यके बाह्य पथमें स्थित होनेपर प्रथम पथमें तिमिरक्षेत्र चौरानबै हजार पांच सौ छब्बीस योजन और दशसे भाजित सात भाग अधिक रहता है ॥ ४०६ ॥ ९४५२६१ । सूर्यके बाह्य मार्गमें स्थित होनेपर द्वितीय पथमें तिमिरक्षेत्र चौरानबै हजार पांच सौ इकतीस योजन और पांचसे भाजित चार भाग प्रमाण रहता है ॥ ४०७ ॥ ९४५३१६ । सूर्यके बाह्य मार्गमें स्थित होनेपर तृतीय पथमें तिमिरक्षेत्र चौरानबै हजार पांच सौ सैंतीस योजन और एक भागमात्र अधिक रहता है ॥ ४०८॥ ९४५३७५। १दब तिमिसप्पणिधीए. २द ब बहितमभाशुम्मि निदियपहता. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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