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________________ -७. २५१ ] .. सत्तमो महाधियारो [६९७ अटेक्कणवचउक्का णवेक्कअंकक्कमेण जोयणया। तिकलाओ परिहिसंखा खेमपुरीयउज्झाण मज्झपणिधीए ॥ १९४९१८ | ३ चउगयणसत्तगवणहदुगाण अंकक्कमेण जोयणया । तिकलाओ खग्गरिटापुराग पणिधीए परिमागं ॥२४८ दुगछक्कभट्टछक्का दुगदुगअंककोण जोयणया । एक्ककला परिमागं चक्कारिट्ठाण पणिधिपरिहीए ॥२४९ ___ २२६८६२ || अट्टचउछक्कएक्का चउद्गअंकक्कमेण जोयणया। एक्ककला खग्गापरजिदाग णयरीण मज्झि परिही सा॥ २४१६४८|| पंचगयणट्टअट्टा पंचद्गंकक्कमेण जोयणया। सत्तकलाओ मंजूसंजयंतपुरमज्झपरिहीसा ॥ २५१ क्षेमपुरी और अयोध्या नगरीके प्रणिधिभागमें परिधिका प्रमाण आठ, एक, नौ, चार, नौ और एक, इन अंकोंके क्रमसे अर्थात् एक लाख चौरानबै हजार नौ सौ अठारह योजन और तीन कला अधिक है ॥ २४७ ।। १९४९१८३ । ___ खड्गपुरी और अरिष्टा नगरियों के प्रणिधिभागमें परिधिका प्रमाण चार, शून्य, सात, नौ, शून्य और दो, इन अंकोंके क्रमसे अर्थात् दो लाख नौ हजार सात सौ चार योजन और तीन कला अधिक है ॥ २४८ ॥ २०९७०४३ । चक्रपुरी और अरिष्टपुरीके प्रणिधिभागमें परिधिका प्रमाण दो, छह, आठ, छह, दो और दो, इन अंकोंके क्रमसे अर्थात् दो लाख छब्बीस हजार आठ सौ बासठ योजन और एक कलामात्र है ॥ २४९ ॥ २२६८६२१ । खड्गा और अपराजिता नगरियों के मध्यमें उस परिधिका प्रमाण आठ, चार, छह, एक, चार और दो, इन अंकोंके क्रमसे अर्थात् दो लाख इकतालीस हजार छह सौ अड़तालीस योजन और एक कलामात्र है ॥ २५० ॥ २४१६४८१ । ___मंजूषा और जयन्त पुरोंके मध्यमें वह परिधि पांच, शून्य, आठ, आठ, पांच और दो, इन अंकोंके क्रमसे अर्थात् दो लाख अट्ठावन हजार आठ सौ पांच योजन और सात कला अधिक है ॥ २५१ ॥ २५८८०५ ४। TP, 88 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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