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________________ -७. १५१ ] सत्तमो महाधियारो [ ६७९ बारसजुदसत्तसया णवणउदिसहस्स जोयणाणिं पि । अडवण्णा तिसयकला विदियपहे चंद्र चंदरस ॥१४६ 1 ९९७१२ | वणउद्दिसहस्सा णि सत्तसया जोयणाणि पणसीदी । उणणउदीदुसयकला तदिए विश्वं सिदंसूणं ॥ १४७ ९९७८५ वणवदिसहस्सा अनुसया जोयणाणि अडवण्णा । वीसुत्तरदुसयकला ससीण विच्चं तुरिममग्गे ॥ १४८ ९९८५८ | २२० | व उदिसहस्सा णवसयाणि इगितीस जोयणाणं पि । इगिसद इगिवण्णकला विद्यालं पंचमपदम्मि || १४९ | | ९९९३१ १५१ ४२७ एक्कं जोयणलक्खं च अब्भहियं हुवेदि सविसेसं । बासीदिकला छठे पहम्मि चंद्राण विच्चाले || १५० ८२ ४२७ १००००४ ३५८ ४२७ :| १०००७७ • Jain Education International २८९ ४२७ सत्तत्तरिसंजुत्तं जोयणलक्खं च तेरस कलाओ । सत्तममग्गे दोहं तुसारकिरणाण विच्चालं ।। १५१ 1 = द्वितीय पथमें एक चन्द्रसे दूसरे चन्द्रका अन्तराल निन्यानबे हजार सात सौ बारह योजन और तीन सौ अट्ठावन कला अधिक है ॥ १४६ ॥ १३ ४२७ ९९६४० + ७२५७ = ९९७१२ १ २८ । तृतीय पथमें चन्द्रोंका अन्तराल निन्यानबे हजार सात सौ पचासी योजन और दो सौ नवासी कालमात्र है ॥ १४७ ॥ ९९७१२३३८ + ७२१५७ = ९९७८५३७ ! चौथे मार्गमें चन्द्रोंका अन्तराल निन्यानवै हजार आठ सौ अट्ठावन योजन और दो सौ बीस कला अधिक है ॥ १४८ ॥। ९९७८५१३७ + ७२१५८ = ९९८५८१३७ । पांचवें पथमें चन्द्रोंका अन्तराल निन्यानबे हजार नौ सौ इकतीस योजन और एक सौ इक्यावन कलाप्रमाण है ॥ १४९ ॥ ९९८५८१३७ + ७२१३७ ९९९३१३ 1 छठे पथमें चन्द्रोंका अन्तराल एक लाख चार योजन और ब्यासी कला अधिक है ॥ १५० ॥। ९९९३११३७ + ७२१३८ १००००४४२७ । सातवें मार्ग में दोनों चन्द्रोंका अन्तराल एक लाख सतत्तर योजन और तेरह कलामात्र है ।। १५१ ॥ १००००४४२ + ७२३५८ = १०००७७४१२७ । = For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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