________________
-५. २०५]
पंचमो महाधियारो खीरवरदीवपहुदि उवरिमदीवस्स दीहेपरिमाणं । चउलक्खे संगुणिदे परिवड्डी होइ उवरि उवारं ॥ २७५
भट्ठारसमपक्खे अप्पाबहुगं वत्तइस्सामो- लवणणारधीए आदिमसूई एक्कलक्खं, मझिमसूई तिष्णिलक्खं, बाहिरसूई पंचलक्खं, एदेसिं तिट्ठाणसूईणं मज्झे कमसो चउछक्कट्ठलक्खाणि मेलिदे धादईसंर. दीवस्स भादिममझिमबाहिरसूईमो होति । पुणो धादईसंडदीवस्स तिट्ठाणसूईणं मझे पुग्विल्लपक्खेवं दुगुणिय कमसो मेलिदे कालोदगसमुहस्स तिट्ठाणसूईओ होति । एवं हेट्ठिमदीवस्स वा रयणायरस्स वा तिढाण- ५ सहणं मझे चउछक्कटलक्खाणि अमहियं करिय' उवरिमदुगुणदुगुणकमेण' मेलावेदव्वं जाव सयंभूरमण
क्षीरवरद्वीपको आदि लेकर उपरिम द्वीपकी दीर्घताके प्रमाण अर्थात् आयामको चार लाखसे गुणित करनेपर ऊपर ऊपर वृद्धिका प्रमाण होता है ॥ २७५॥
उदाहरण-(१) क्षीरवरद्वीपका विस्तार = २५६ लाख यो.; आयाम २२९५ लाख यो.। अतएव २२९५ ला. x ४ ला. = ९१८० x १०° यो. । यह क्षीरवरद्वीपसे अधस्तन द्वीपोंके क्षेत्रफलसे पन्द्रह गुणा होकर अधिकका प्रमाण है जो क्षीरवरद्वीपमें प्राप्त होता है ।
(२) अधस्तन द्वीपोंके क्षेत्रफलसे १५ गुणा होकर जो सातिरेकप्रमाण स्वयंभूरमणद्वीपमें पाया जाता है वह इस प्रकार है- स्वयंभूरमणद्वीपका आयाम = रा. - ५६२५०० यो.; इसको चार लाखसे गुणा करनेपर प्राप्त हुआ = १५०००० रा. यो.- २२५४१० । अतः स्वयंभूरमणद्वीपका क्षेत्रफल हुआ६ रा.' - १७८१२५ रा. यो. + २०३९०६२५०००० यो.
४५०००० रा. यो. - २२५००००००००० यो. ६४ रा.' - २८१२५ रा. यो. - २१०९३७५०००० यो.
अठारहवें पक्षमें अल्पबहुत्वको कहते हैं- लवणसमुद्रकी आदिम सूची एक लाख, मध्यम सूची तीन लाख और बाह्य सूची पांच लाख योजन है । इन तीन सूचियोंके मध्यमें क्रमसे चार लाख, छह लाख और आठ लाख मिलानेपर धातकीखण्डकी आदिम, मध्यम और बाह्य सूची होती है । पुनः धातकीखण्डकी तीनों सूचियोंमें पूर्वोक्त प्रक्षेपको दुगुणा करके क्रमशः मिलादेनेपर कालोदकसमुद्रकी तीनों सूचियां होती हैं । इस प्रकार अधस्तन द्वीप अथवा समुद्रकी त्रिस्थान सूचियोंमें चार, छह और आठ लाख अधिक करके आगे आगे स्वयंभूरमणसमुद्र तक
२ द ब पीरीए.
३ द व होदि.
४ द ब अभहियं व करिव.
१ द ब दीव'. ५दब उवरिमगुणदुगुण.
P.75
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org