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________________ ( १०६ ) ७०१ ७३० ७३५ ७४७ 19 ७४८ -७८२ ७८४ -७९० ७९२ ७९४ ७९५ ८०७ -८०९ ८१३ 19 .८१३ Jain Education International १९ ૨ 1 १५ २५ १४ ६ १ ५. ११ , १७ २२ ४ ሪ २१ २३ ॥ २७२ ॥ विव साया तक्काले (?) जघन्य १५०५ ३१५; ३१५ बासट्ठी जोऐज्ज सुदंसणाओ लोनेके लिये सेढिगदाण तिलोय पण्णची ऋषम वसहाणीयादीर्ण किण्हा या ये पुराई रामाबद्द बलनामा अर्चिनिका ये सब इन्द्रोंके सदृश नामवाली होती हैं । | तिरेसठ पटल में प्रकीर्णक नहीं हैं, । परन्तु जो आचार्य ऋतु इन्द्रक के श्रेणिवद्ध विमान हैं। चारों ओर तिरेसठ तिरेसठ श्रेणिबद्ध विमान स्वीकार करते हैं उनके अभिप्रायसे वहां प्रकीर्णक नहीं हैं, केवल श्रेणिबद्ध विमान हैं । ऋषभ कृष्णा (1) रामापति वसुधर्म, वसुंधरा सब इन्द्रसम नामबाली हैं ॥ ३०७ ॥ ॥ २७९ ॥ ४ प्रमाणांगुल । [ चैव सभा ] [लवंता जक्काले ] मध्यम १००५ ३०१५; ३०१५ [तेसट्ठी ] जोएज्ज .... [ सुसाइ लाने के लिये सेविगदाण वसहाणीयादीर्ण [ किव्हा य मेघराई रामा वह ] [ पद्मा, शिवा, शची, अंजुका, रोहिणी, नवमी ] बला नामक और अर्चिनिका [ ये आठ ज्येष्ठ देवियां प्रत्येक दक्षिण इन्द्रके होती हैं ] वे सब देवियां सभी इन्द्रोंके समान नामवाली होती हैं । कृष्णा, मेघराजी, रामा, वसुधर्मा और वसुन्धरा, ये आठ येष्ठ देवियां नियमसे [ प्रत्येक उत्तर इन्द्रके होती हैं ।] सब इन्द्रोंकी इन देवियोंके नाम समान ही होते हैं ।। १०७ । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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