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शुद्धि-पत्र
..अशुद्धियोंके साथ ही जो पाठ प्रतियोंमें ऐसे ही उपलब्ध हैं, परन्तु अशुद्ध प्रतीत होते हैं, उनके स्थानमें यहां शुद्ध पाठ इस [ ] कोष्ठकमें सुझाये गये हैं और उन्हींके अनुसार अर्थभेद भी दिखला दिया गया हैपंक्ति - अशुद्ध
शुद्धं भयदंबतउरसासयमणिसिला... रुजगं [अयतंबतउयसस्सयमणोसिला... कलंभपदराणि
...रुजगंकअब्भपडलाणि] अंबवालुकाओ
[अब्भवालुकाओ] चंदस्स
[चंदण] बंबयवगमोअसारग्गपहुदीणि एत्तेण [वव्वयवगमोअमसारगल्लपहुदीणि
. .. एदेण] मणिशिला, .... गोमेदक मनःशिला, .... गोमध्यक २३ रुचक, कदंब (धातुविशेष , प्रतर रुचक, अंक, अभ्रपटल, अभ्र
(धातुविशेष), ताम्रवालुका (लाल रेत) वालुका २४ चन्द्राश्म
चन्दन बंवय (वप्रक?) वगमोच (!) वप्रक ( मरकत ), वकमणि और सारंग
(पुष्पराग), मोचमणि (कदलीवीकार नीलमणि) और मसारगल्ल (मसृणपाषाणमणि विद्रुम
वर्ण) असारगल्लं
[मसारगल्लं] .. तियपुढवीए
[तदियपुढवीए]
[चिय] णालयादि
[ णाडयादि] नादगृह और लतागृह
और नाटकादि गृह सवपिणदा
[समण्णिदा] सायारणयायारा
[ सायारयणायारा] सण्णे
[सयणे] महाई कोमल उपपादशालामें उपपादशालामें बहुमूल्य शय्याके
ऊपर जादभासण
[णाडभासण] नादगृह
नाटकगृह
विय
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