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________________ (१००) तिलोयपणती गाथा ६१२ ५३७ विषय विषय नक्षत्रप्ररूपणा १५९ लवणसमुद्रादिमें सूर्यवीपियोंकी संख्या ५९. বাস १९४ प्रत्येक सूर्यकी मुहूर्तपरिमित गतिका सूर्य व चन्द्रके अयन और उनमें दिन प्रमाण ५९२ रात्रियों की संख्या १९८ लवणसमुद्रादिमें ग्रहसंख्या नक्षत्रोंके गगनखण्ड ५०१ लवणसमुद्रादिमें नक्षत्रसंख्या सूर्य व चन्द्र द्वारा एक मुहूर्तमें लांघने लवणसमुद्रादिमें तारासंख्या ५९९ योग्य गगनखण्डोंका प्रमाण ५०६ अढाई द्वीपके बाहर अचर ज्योतिषोंकी अभिजित् आदि नक्षत्रोंकी सूर्यसंगति ५१६ / प्ररूपणा अभिजित् आदि नक्षत्रोंकी चन्द्रसंगति ५२१ समस्त ज्योतिष देवोंका प्रमाण पृष्ठ ७६१ दक्षिण व उत्तर अयनमें आवृत्तिसंख्या ५२६ | चान्द्र-सूर्यादिकोंकी आयु आदिकी ' प्ररूपणा युगका प्रारम्भ दिवस ५३० ६१४ द्वितीयादिक आवृत्तियोंकी तिथियां महाधिकार ८ आद्य मंगल प्रथमादिक विषुपोंकी तिथियां इक्कीस अन्तराधिकारोंका निर्देश लवणसमुद्र आदिमें चन्द्रोंकी संख्या ५५० स्वर्गपटलोंकी स्थिति चन्द्रके अभ्यन्तर पथमें स्थित होनेपर तिरेसठ इन्द्रकविमानोंके नाम प्रथम पथ व द्वीप-समुद्रजगतीक इन्द्रकविमानोंका विस्तार बीच अन्तराल ऋतु इन्द्रकादिक श्रेणिबद्ध व उनका दोनों चन्द्रोंके बीच अन्तर विन्यासक्रम चन्द्रकिरणोंकी गति ५६७ कल्पसंख्याविषयक मतभेद लवणसमुद्रादिमें चन्द्रवीथियोंकी संख्या ५६८ कल्पोंकी स्थिति ११८ चन्द्रकी मुहूर्तपरिमित गतिका प्रमाण ५६९ बारह कल्प व कल्पातीत विमानोंके नाम १२. लवणसमुद्रादिमें चन्द्रोंकी शेष प्ररूपणा ५७० मतान्तरसे विजयादि विमानोंका दिग्मेद १२६ लवणसमुद्रादिमें सूर्यसंख्या ५७१ मतान्तरसे सोलह कल्पोंके नाम १२७ दो दो सूर्योका एक एक चारक्षेत्र व कल्प व कल्पातीत विमानों की स्थिति और उसका विस्तार ५७३ सीमाका निर्देश १२९ एक एक चारक्षेत्रमें वीथीसंख्या व सौधर्म आदि कल्पोंके आश्रित श्रेणिबद्ध उनका विस्तार ५७४ व प्रकीर्णक विमानोंका निर्देश १३० लवणसमुद्रादिमें प्रत्येक सूर्यके बीच तथा सौधर्मादि कल्पोंमें समस्त विमानसंख्या : १४९ प्रथम पथ व जगतीके बीच अन्तर ५७५ सौधर्मादि कल्पोंमें श्रेणिबद्ध और इन्द्रक जम्मूदीपादिमें चन्द्र-सूर्यको किरणगति ५८६ विमानोंकी संख्या १५५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001275
Book TitleTiloy Pannati Part 2
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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