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– १. १८३ ]
पदमो महाधियारो
[ २५
उदभ हवेदि पुण्वावरेहि लोयंतउभयपासेसु । तिदुइगिरज्जुपवेसे सेढी दुतिभागतिदसेढीओ' ॥ १८०
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२
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३
भुजपडिभुजमिलिदद्धं विंदफलं वासमुदयवेदहदं । एक्काययत्तबाहू वासदहदा य वेदहदा ॥ १८१ वादालहरिदलोओ विंदफलं चोदसावहिदलोओ। तब्भंतर खेत्ताणं पणइदलोओ दुदालहिदो || १८२
४२ १४ ४२
एवं वेत्तपमाणं मेलिय सयलं पि दुगुणिदं कादुं । मज्झिमखेत्ते मिलिदे चउगुणिदो सगहिदो लोभो ॥ १८३ ४।३
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पूर्व और पश्चिमसे लोकके अन्तके दोनों पार्श्वभागों में तीन, दो और एक राजु प्रवेश करने पर उंचाई क्रमसे एक जगश्रेणी, श्रेणीके तीन भागों में से दो भाग, और श्रेणीके तीन भागों में से एक भागमात्र है ॥ १८० ॥
[ १ ] भुजा और प्रतिभुजाको मिलाकर आधा करनेपर जो व्यास हो, उसे उंचाई और मुटाई से गुणा करना चाहिये । ऐसा करनेसे त्रिकोण क्षेत्रका घनफल निकल आता है । [ २ ] एक लम्बे बाहुको व्यासके आधेसे गुणा करके पुनः मुटाईसे गुणा करनेपर बाहुयुक्त क्षेत्रके घनफलका प्रमाण आता है || १८१ ॥
एक लंबे
लोक में व्यालीसका भाग देनेसे, चौदहका भाग देने से, और लोकको पांचसे गुणा करके उसमें ब्यालीसका भाग देनेसे क्रमशः उन तीनों अभ्यन्तर क्षेत्रोंका घनफल निकलता द्वै ॥ १८२ ॥
=
३४३ ÷ ४२ = ८६ प्र. अ. क्षेत्रका घ. फ.; ३४३ ÷ १४ - २४३ द्वि. अ. क्षेत्रका घ. फ. ; ३४३ × ५ ÷ ४२ = ४० तृ. अ. क्षेत्रका घ. फ.
इस समस्त घनफलको मिलाकर और उसे दुगुणा करके इसमें मध्यम क्षेत्रके घनफलको जोड़ देने पर चारसे गुणित और सातसे भाजित लोकके बराबर संपूर्ण अधोलोकके घनफलका प्रमाण निकल आता है ।। १८३ ॥
८ + २४ + ४० =
१९६
७३३; ७३३ x २ = १४७; १४७ + ४९ = पूर्ण अ. लो. का घनफल; बराबर ३४३ x ४ = ७ रा.
१ [ दुतिभागति दियसेढीओ ]. २ द ब चउगुणिदे सगहिदे. ३ व ४ ।।
७.
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