SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 61
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय गाथा [५ गाथा सीतोदा नदीका निरूपण २०६५ यमकूट और मेघकूट नामक यमक पर्वतोंका निरूपण २०७५ यमक और मेघकूटके आगे पांच ___ द्रहोंका निरूपण २०८९ कांचनशैलोंका निरूपण २०९४ भदशालवेदी २१०० सिद्धिक व अंजन नामक दो दिग्गजेन्द्र शैल २१०३ सीतोदाके पश्चिम व उत्तर तटपर स्थित जिनभवनका निर्देश २१०९ कुमुदशैल व पलाशगिरि २११२ भद्रशाल वनवेदी २११४ सीता नदीका वर्णन २११६ चित्रनग व विचित्रकूट नामक यमक गिरियों का निर्देश २१२३ द्रहपंचक २१२५ भद्रशालवेदी २१२७ रोचन व अवतंसकूट नामक दिग्गजेन्द्र २१३० सीताके पूर्व व दक्षिण तटपर स्थित जिन भवनका निर्देश २१३२ पद्मोत्तर व नीलगिरि २१३४ मतान्तरसे द्रहपंचकका निर्देश २१३६ देवकुरुक्षेत्रकी स्थिति व लंबाई आदि २१३८ शाल्मलावृक्ष व उसके परिवार वृक्षादि २१४६ उत्तरकुरु व उसकी लंबाई आदि २१९१ जम्बूवृक्ष व उसके परिवार वृक्षादि २१९४ पूर्वापरविदेहोंमें विजयादिकोंका निर्देश २१९९ विजयादिकोंका विस्तारादि कन्छादेशका निरूपण २२३३ शेष विजयोंका निरूपण २२९२ ] विषय सीता-सीतोदाके दोनों तटोंपर स्थित - जिनप्रतिमाओंका निर्देश २३०५ सोलह गजदन्तगिरियोंका वर्णन २३०७ बारह विभंगनदियोंका वर्णन २३१२ देवारण्यका निरूपण २३१५ भूतारण्यका निरूपण २३२५ नीलगिरिका वर्णन २३२७ रम्यक विजयका वर्णन २३३५ रुक्मिगिरिका वर्णन २३४० हैरण्यवत विजयका वर्णन २३५० शिखरी गिरिका वर्णन २३५५ ऐरावत क्षेत्रका वर्णन २३६५ धनुषाकार क्षेत्रके क्षेत्रफल निकालनेका विधान २३७४ भरत क्षेत्रका क्षेत्रफल २३७५ निषध पर्वतका क्षेत्रफल २३७६ विदेह क्षेत्रका क्षेत्रफल नीलान्त ऐगवतक्षेत्रादिका क्षेत्रफल २३७८ जम्बूद्वीपका क्षेत्रफल २३७९ जम्बूद्वीपस्थ नदियोंकी संख्या २३८. कुण्डोंका प्रमाण २३८६ कुण्डोंके भवनोंमें रहनेवाले व्यन्तरदेव २३८७ वैदियों की संख्या व उत्सेधादि २३८८ जिन भवनोंकी संख्या २३९२ कुलशैलादिकोंकी संख्या २३९४ लवणसमुद्र २३९८ लवणसमुद्रमें पातालोंका निरूपण २४०८ मतान्तरसे जलशिखरपर लवणसमुद्रका विस्तार २४४८ लवणसमुद्र के दोनों तटों व शिखरपर स्थित नगरियों का वर्णन २४४९ २३७७ २२१७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy