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________________ विषय गाथा इन्द्रसुत कल्कीकी आयु व राज्यकाल १५०९ कल्कीका पट्टबन्ध १५१० -इक्कीस कल्की और उपकल्कियोंका निरूपण - अतिदुषमा कालका निरूपण उत्सर्पिणी कालके छह भेद और उनका कालमान - उत्सर्पिणी कालके प्रथम कालका विशेष वर्ण -दुषमा कालका निरूपण दुषमसुषमा कालका निरूपण सुषमदुषमा कालका निरूपण सुषमा कालका निरूपण सुषमसुषमा कालका निरूपण उत्सर्पिणी - अवसर्पिणी कालोंका परिवर्तन , :2 "" "" Jain Education International [ ४९ ] १५११ १५३५ -पांच म्लेच्छखण्ड और विद्याधर णियों में प्रवर्तमान कालका नियम १६०७ उत्सर्पिणी कालके अतिदुषमादि तीन कालों में क्रमशः बहुत जीवों की उत्पत्ति १६०८ विकलेन्द्रियोंका नाश और कल्पवृ क्षों की उत्पत्ति विकलेन्द्रिय जीवोंकी उत्पत्ति व वृद्धि हुण्डावसर्पिणी और उसके चिह्न हिमवान् पर्वतका उत्सेध, अवगाह और विस्तार हिमवान् पर्वत की उत्तरजीवा उत्तर में धनुषपृष्ठ चूलिका पार्श्वभुजा बेदियां व वनखण्ड १५५५ १५५८ १५६७ १५७६ १५९६ १५९९ १६०२ १६०६ १६१० १६१२ १६१५ १६२४ १६२५ १६२६ १६२७ १६२८ १६२९ विषय हिमवान् पर्वतस्थ कूटोंके नाम कूटोंकी उंचाई आदि 11 प्रथम कूट पर स्थित जिनभवनका निरूपण शेष कूटोंपर स्थित व्यन्तरनगरों का निरूपण हिमवान्पर्वतस् पद्मके वर्णन में श्रीदेवीके परिवारादिका वर्णन हैमवत क्षेत्रका निरूपण महाहिमवान् पर्वतका निरूपण हरिवर्ष क्षेत्रका निरूपण निषेध पर्वतका निरूपण विदेह क्षेत्रका विन्यास गाथा १६३२ १६३३ १६३४ For Private & Personal Use Only १६५० १६५८ १६९८ १७१७ १७३८ १७५० १७७४ १७७५ विदेहका विस्तारादि विदेहमध्यस्थ मेरू पर्वतका विस्तारादि १७८० मेरुकी छह परिधियां व उनका प्रमाण १८०२ मेरुकी सातवीं परिधि व उसके भेद १८०४ मेरुके मूलभागादिकी वज्रादिरूपता मेरूसम्बन्धी चार वन मेरुशिखरका विस्तार व परिधि मेरुशिखरस्थ पाण्डुक वनका वर्णन १८०७ सौमनस वनका वर्णन १८०८ १८१० १८११ १९३७ नन्दन वनका वर्णन १९८८ २००१ भद्रशाल वन व उसका विस्तारादि सौमनसादि चार गजदन्तोंका निरूपण २०१२ सौमनसपर्वतस्थ सात कूटोंका वर्णन २०३० विद्युत्प्रभपर्वतस्थ नौ कूटोंका वर्णन २०४५ विद्युत्प्रभपर्वत में स्थित गुफाका निर्देश २०५५ गन्धमादन पर्वतस्थ सात कूटों का वर्णन २०५७ माल्यवान् पर्वतस्थ नौ कूटोंका वर्णन २०६० माल्यवान् पर्वत में स्थित गुफाका निर्देश २०६३ www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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