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________________ ५२२ [४६] विषय गाथा विषय गाथा सुषमसुषमा कालका निरूपण ३२० कुमारकालदीक्षित और राज्यान्तमुषमा कालका निरूपण ३९५ दीक्षित तीर्थंकरोंका निर्देश ६७० सुषमदुषमा कालका निरूपण १०३ तीर्थंकरोंकी पारणाका काल ६७१ भोगभूमिजोंमें बीस प्ररूपणाओंका पंचाश्चर्य ६७२ . निरूपण १११ ऋषभादि तीर्थकरोंका छमस्थकाल ६७५ दह कुलकरोंका निरूपण ४२१. ऋषभादि तीर्थंकरोंके केवलज्ञानकी लाकापुरुषोंकी संख्या व उनके - तिथि, समय, नक्षत्र और स्थानका नाम ५१० निर्देश ६७९ म्यारह रुद्रोंके नाम ५२. तीर्थंकरोंके केवलज्ञानका अन्तरकाल ७०२ अषभादि चौबीस तीर्थंकरोंके केवलज्ञानोत्पत्तिके पश्चात् तीर्थंकरोंके अवतरणस्थान शरीरका पांच हजार धनुषषभादि चौबीस तीर्थंकरोंके जन्म प्रमाण ऊर्ध्वगमन ७०५ केवलोत्पत्तिके पश्चात् इन्द्रादिकों द्वारा स्थान, माता-पिता, जन्मतिथि ___ तत्परिज्ञानादि ७०६ और जन्मनक्षत्रोंके नाम ५२६ .. सौधर्मेन्द्रकी आज्ञासे कुबेरके द्वारा समबीबीस तीर्थंकरोंके वंशोंका निर्देश ५५० वमरणोंकी रचना ७१० , , जन्मान्तरालका प्रमाण ५५३ La समवसरणोंके निरूपणमें इकतीस अधि m a अषभादि तीर्थकरोंका आयुप्रमाण ५७९ कारोंका निर्देश " कुमारकाल ५८३ सामान्यभूमि व उसका प्रमाण ७१६ उत्सेध ५८५ सोपानोंका वर्णन ७२० शरीरवर्ण ५८८ समवसरणोंका विन्यास ७२३ राज्यकाल ५९० वीथियोंका निरूपण चिह ६०४ धूलिशालोंका वर्णन राज्यपद ६०६ चैत्यप्रासादभूमियां वैराग्यकारण ६०७ नाटयशालायें ७५६ वैराग्यभावना ६११ मानस्तम्भोंका निरूपण , दीक्षास्थान ६४३ प्रथम वेदी ७९२ ऋषभादि तीर्थंकरोंकी दीक्षातिथि, खातिकाभूमि ७९५ काल, नक्षत्र, वन और उपवासोंका द्वितीय वेदी निरूपण वल्लीभूमि ८००. सहदीक्षित राजकुमारोंकी संख्या ६६८ । द्वितीय शाल ८०२ ७२४ ७३३ ६४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001274
Book TitleTiloy Pannati Part 1
Original Sutra AuthorVrushabhacharya
AuthorA N Upadhye, Hiralal Jain
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1956
Total Pages598
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Geography
File Size12 MB
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