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तिलोयपण्णत्ती
[ १.२७२०
अट्टत्ताला दीवा दिसासु विदिसासु अंतरेसुं च । चउवीसभंतरए बाहिरए तेत्तिया तस्स ॥ २७२० अभंतरम्मि दीवा चत्तारि दिसासु तह य विदिसासुं । अंतरदिसासु अट्ठ य अट्ठ य गिरिपणिधिभागेसु ॥२७२१
४।४।८।८। जोयणपंचसयाणिं पण्णभहियाणि दोतडाहितो । पविसिय दिसासु दीवा पत्तेकं दुसयविक्खंभो ॥२७२२
__ ५५० । २००। जोयणयछस्सयाणिं पण्णभहियाणि दोतडाहितो। पविसिय विदिसादीवा पत्तेक एक्सयरुंदं ॥ २७२३
६५० । १००। जोयणपंचसयाइं पण्णब्भहियाणि बेतडाहिंतो। पविसिय अंतरदीवा पण्णारुंदा ये पत्तेकं ॥ २७२४
५५० । ५०। छञ्चिय सयाणि पण्णाजुत्ताणि जोयणाणि दुतडादो । पविसिय गिरिपणिधीसं दीवा पण्णासविक्खभा ॥ २७२५
६५० । ५०। पत्तेक ते दीवा तडवेदीतारणेहि रमणिज्जा । पोक्खरणीवावीहि कप्पदुमेहिं पि संपुण्णा ॥ २७२६
इस समुद्रके भीतर दिशाओं, विदिशाओं और अन्तरदिशाओंमें अडतालीस द्वीप हैं । इनमेंसे चौबीस उसके अभ्यन्तरभागमें और चौबीस ही बाह्यभागमें भी हैं ॥ २७२० ॥
__ उसके अभ्यन्तरभागमें दिशाओंमें चार, विदिशाओंमें चार, अन्तरदिशाओंमें आठ और पर्वतोंके पार्श्वभागोंमें भी आठ ही द्वीप हैं ॥ २७२१ ॥ ४ + ४ + ८ + ८ = २४ ।
इनमेंसे दिशाओंके द्वीप दोनों तटोंसे पांचसौ पचास योजनप्रमाण समुद्र में प्रवेश करके स्थित हैं । इन द्वीपोंमेंसे प्रत्येकका विस्तार दोसौ योजनप्रमाण है ॥ २७२२ ।।
समुद्रतटसे दूर ५५० । विष्कम्भ २०० यो.। दोनों तटोंसे छहसौ पचास योजनप्रमाण समुद्र में प्रवेश करने पर विदिशाओंमें द्वीप स्थित हैं । इनमेंसे प्रत्येक द्वीपका विस्तार एकसौ योजनमात्र है ॥ २७२३ ॥
समुद्रतटसे दूर ६५० । विष्कम्भ १०० यो । दोनों तटोंसे पांच सौ पचास योजन प्रवेश करके अन्तरद्वीप स्थित हैं । इनमेंसे प्रत्येकका विस्तार पचास योजनमात्र है ।। २७२४ ॥ समुद्रतटसे दूर ५५० । विष्कम्भ ५० यो. ।
दोनों तटोंसे छहसौ पचास योजन प्रवेश करके पर्वतोंके प्रणिधिभागोंमें अन्तरद्वीप स्थित हैं । उनमें से प्रत्येकका विस्तार पचास योजनप्रमाण है ॥ २७२५ ॥
समुद्रतटसे दूर ६५० । विष्कम्भ ५० यो.। वे प्रत्येक द्वीप तटवेदी व तोरणोंसे रमणीय और पुष्करिणी वापिकाओं एवं कल्पवृक्षोंसे परिपूर्ण हैं ॥ २७२६ ॥
१ ब विदिसासु. २ द ब पण्णासंदा य. ३ दब विक्खंभो. ४ दबवावीओ.
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